ऐतिहासिक फैसला: नदियों को मिला मानव जाति का दर्जा
नैनीताल: (कुदन शर्मा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसल सुनाया है। फैसले के अनुसार अब देश की दो पवित्र नदियों गंगा ओैर यमुना को जीवित मानव का समझना होगा। इनके अस्तित्व के साथ छेड़छाड़ पर मुकदमा दर्ज होगा और उसी तरह इसकी सुनावाई होगी जैसे मानव जाति के साथ किये गये अपराधों की होती है।
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की एक खंडपीठ ने अपने आदेश में दोनों पवित्र नदियों गंगा और यमुना के साथ एक ‘जीवित मानव’ की तरह व्यवहार किये जाने का आदेश दिया है। अधिवक्ता एमसी पंत की दलीलों से सहमति व्यक्त करते हुए अदालत ने इस संबंध में न्यूजीलैंड की वानकुई नदी का भी उदाहरण दिया जिसे इस तरह का दर्जा दिया गया है। हरिद्वार निवासी मोहम्मद सलीम द्वारा दायर की गयी एक जनहित याचिका पर दिये इस आदेश में अदालत ने देहरादून के जिलाधिकारी को ढकरानी में गंगा की शक्ति नहर से अगले 72 घंटों में अतिक्रमण हटाने के भी आदेश दिये हैं और कहा है कि इसका अनुपालन न होने की स्थिति में उन्हें निलंबित कर दिया जायेगा।
गंगा और यमुना को एक जीवित मानव की तरह का कानूनी दर्जा देते हुए अदालत ने नमामि गंगे मिशन के निदेशक, उत्तराखंड के मुख्य सचिव और उत्तराखंड के महाधिवक्ता को नदियों के कानूनी अभिभावक होने के निर्देश दिये हैं और उन्हे गंगा, यमुना और उनकी सहायक नदियों की सुरक्षा करने और उनके संरक्षण के लिये एक मानवीय चेहरे की तरह कार्य करने को कहा है। ये अधिकारी गंगा और यमुना के जीवित मानव का दर्जे को बरकरार रखने तथा इन नदियों के स्वास्थ्य और कुशलता को बढावा देने के लिये बाध्य होंगे। जाहिर है जब नदियों को मानव जाति का दर्जा दिया गया है तो नदियों के कृत्य को भी उसी तरह लिया जायेगा जैसे मनुष्य का और उसके खिलाफ भी मामले दर्ज होंगे।