अभी मेरी क्या उमर थी, सगाई कर दी...
सिलीगुड़ी, वेस्ट बंगाल (पवन शुक्ल) फागुन के मौसम में जहां लोग अपने में व्यस्त होने के कारण मानसिक तनाव से जूझ रहे हों ऐसे में अगर कवियों की रचनाओं पर हंसने और हंसाने का माहौल मिल जाए तो मजा ही कुछ और होता है। गुरुवार को सिलीगुड़ी के सेफरान कास्ट होटल में प्रभात खबर द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में कवियित्री कल्पना शुक्ला त्रिवेदी ने “मम्मी बीच ही में बंद क्यूँ पढ़ाई कर दी, अभी मेरी क्या उमर थी सगाई कर दी।“
जब सुनाया तो पूरा माहौल बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के गमगीन माहौल में बदल गया। कार्यक्रम की शुरुआत कल्पना शुक्ला के सरस्वती बंदना से शुरूआत हुई। फिर बेटियों पर कल्पना के गीतों “मैं बस भटकती रहूं राधिका की तरह“ ने जहां खूब तालियां बटोरी और माहौल को गमगीन किया। वीर रस के कवि नवीन कुमार सिंह ने जब कविता पाठ की शुरूआत की तो पूरा माहौल देशभक्ति के जज्बातों से ओतप्रोत हो गया और भारत माता की जय और तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उनहोंने जब “होली ना दिवाली देखी है बस अपने फर्ज को देखा है।“
सेना के जवानों पर कमेंट करने पर एक जवान का जवाब “दुश्मन जब कभी लड़ा हमसे तब उसको सबक सिखाया है, शेरों के दांत के गिने हमने, चिड़ियों संग बाघ लड़ाया है। नित अमर जोत जलती जाए, इसलिए मिले परवाने हम, गीदड़ से तर्क नहीं करते हैं सिंहों की संतानें हम।“ अब समय आ गया श्रोताओं को हंसने और लोटपोट होने का हरियाणवी कवि अनील अग्रवंशी ने जब माइक थामा तो श्रोताओं को ठहाके के अलावा कुछ समझ में नहीं आ रहा था। कार्यक्रम का संचालन कर रहे हरियाणवी कवि रसीक गुप्ता को देख श्रोता अपनी हंसी रोक नहीं पाए।