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Uttar pradesh

कलश यात्रा के साथ रुद्र महायज्ञ का शुभारंभ

Posted on: Thu, 21, Nov 2019 9:38 AM (IST)
कलश यात्रा के साथ रुद्र महायज्ञ का शुभारंभ

गाजीपुर व्यूरो(विकास राय) जनपद के मुहम्मदाबाद क्षेत्र के बगेंद गांव में आयोजित छह दिवसीय रुद्र महायज्ञ का शुभारंभ भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ। महामंडलेश्वर शिवरामदास फलाहारी बाबा के नेतृत्व में यज्ञ स्थल से शुरू होकर कलश यात्रा ढोढ़ाडीह, परसा, रघुवरगंज, हाटा, सलेमपुर, दाउदपुर, हाटा रोड, तहसील, वकीलबाड़ी, तिवारीपुर मोड़, हरिहरपुर, सुल्तानपुर होते गौसपुर गंगा तट पर पहुंची।

कलश यात्रा में आगे आगे बाईक सवार झण्डा लेकर जयघोष करते हुवे चल रहे थे। आचार्य मदन मोहन दूबे, विकास मिश्रा, हरेंद्र उपाध्याय, वायुनंदन मिश्रा ने विधिवत मंत्रोच्चार के बीच कलश पूजन कराया। गंगा तट पर स्नान एवम कलश पूजन के पश्चात अयोध्या स्थित श्री माधव कुंज के महन्त श्री श्री 1008 श्री शिवराम दास जी फलाहारी महाराज ने गंगा स्नान एवम उसके पौराणिक महत्व के बारे में बताया की गंगा स्नान करने से मां गंगा स्नान करने वाले को पल भर में तीन स्वरूप प्रदान करती है। गंगा स्नान करने वाले इंसान को ब्रह्मा विष्णु और महेश का स्वरूप मिलता है। जब ब्यक्ति गंगा में प्रवेश करता है तो पैर से स्पर्श होते समय विष्णु समान,डुबकी लगाता है तो सर पर गंगा का स्पर्श होने से भगवान शिव समान एवम जब अपने कमण्डल में गंगा जल भर कर बाहर की तरफ चलता है तो स्वयं ब्रह्मा समान हो जाता है।

फलाहारी बाबा ने कहा की गंगा का माहात्मय वर्णणातीत है। ‘गीता’ में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है-‘स्रोतसामस्मि जाह्नवी’ अर्थात नदियों में मैं जाह्नवी (गंगा) हूँ। महाभारत में गंगा के बारे में कहा गया है-‘‘पुनाति कीर्तिता पापं द्रष्टा भद्र प्रयच्छति। अवगाढ़ा च पीता च पुनात्या सप्तम कुलम।’’ अर्थात गंगा अपना नाम उच्चारण करने वाले के पापों का नाश करती है। दर्शन करने वाले का कल्याण करती है तथा स्नान-पान करने वाले की सात पीढ़ियों तक को पवित्र करती है। वेदों एवं पुराणों में गंगा को बारंबार तीर्थमयी कहा गया है।‘‘सर्वतीर्थमयी गंगा सर्वदेवमया हरिः।’’(नृसिंह पुराण) इस प्रकार गंगा जल धार्मिक ग्रन्थों से लेकर विश्लेषण तक में श्रेष्ठतम सिद्ध हुआ है। इसीलिए कहा गया है- ‘‘गंगे तव दर्शनात् मुक्तिः।’’ पूरे विश्व में ऐसी कोई नदी नहीं जिसे इतना आदर मिला हो।

इसे केवल जल का स्रोत नहीं वरन देवी मानकर पूजा जाता है। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान गंगा के बिना पूरा नहीं होता। हम सब ईक्कीसवी सदी में जी रहे है पहले से ज्यादा शिक्षित है लेकिन अफसोस की बात है की सारे प्रयास के बावजूद हमारी मां गंगा पहले जैसी नहीं है। गोमुख से अपने उद्गम स्थल से निकलने के बाद ऋषिकेश एवम हरिद्वार तक तो गंगाजल विल्कुल शुद्ध एवम स्वच्छ है लेकिन जैसे जैसे आगे का सफर करती है मानव के द्वारा ही गंगाजल को अशुद्ध एवम गन्दा कर दिया जाता है।हम सभी को सचेत होने की आवश्यकता है। सभी कलश यात्री कलश में गंगाजल लेकर वापस यज्ञस्थल पर वापस लौटे।कलश यात्रा में राधाकृष्ण एवम शंकर पार्वती की झांकी आकर्षण का केन्द्र रही।इस कलश यात्रा में स्वामी नाथ राय अवकाश प्राप्त शिक्षक. डाक्टर श्रीकांत राय.वीरेंद्र नाथ राय.राधेश्याम राय.मनीष राय.विजयशंकर राय.मृत्युंजय राय बुल्लु.गुड्डू राय.दयाशंकर राय समेत सैकडों की संख्या में पुरूष एवम महिला कलश यात्री शामिल रही।




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