शुद्ध मन तीर्थ के समान
गाजीपुर व्यूरो (विकास राय) तीर्थ राज प्रयाग की पावन भूंमि पर सेक्टर 14 के प्रभु प्रेमी संघ में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में पूज्य अवधेशानंद जी महाराज ने कहा की- शुद्ध मन तीर्थ के समान है। मन की पवित्रता आपको ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव करने में सक्षम बनाती है। भारतवर्ष की शुचिता, दिव्यता, कौटुम्बिक प्रवृत्तियाँ और ज्ञान-आलोक से सम्पूर्ण जगत प्रकाशित हो। शास्त्रों में धन्यता को उपलब्ध प्राणियों की चर्चा है। जो ज्ञानी हैं, उनका क्रोध पानी पर लकीर जैसा होता है, जो ज्ञान की साधना कर रहे हैं उनका क्रोध बालू पर लकीर जैसा; जो ज्ञान के इच्छुक हैं, वे उतनी देर तक क्रोध में बने रहते हैं। मन जब निर्मल होता है तब ही उसमें समता आ पाती है, तब हर तरह की परिस्थिति में वह शांत रहता है। ज्ञान की अग्नि से कामना जल जाती है। कथा में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु कथा का रसपान कर रहे हैं।