अहिल्या के उद्धार के लिये भगवान खुद चलकर उसके पास गये
वाराणसीः (विकास राय) मणिकर्णिका घाट के सामने गंगा पार डुमरी में आयोजित मानस मसान के मंच से राम कथा रूपी अमृत वर्षा करते हुये राष्ट्रीय संत मोरारी बापू ने कहा की महर्षि विश्वामित्र के पास सूत्र, मंत्र, शस्त्र, शास्त्र, साधन और साधना रूपी 6 गुण थे। किसी एक में यह होना संभव नहीं है। परन्तु जब तक सत्य रूपी राम और त्याग रूपी लखन उनके जीवन में नहीं आये उनका यज्ञ पूरा नहीं हुआ। उसी तरह से जब तक इनका आगमन हमारे जीवन में नहीं होगा हमारा जीवन रूपी यज्ञ भी पूर्ण नहीं होगा। पूज्य बापू ने कथा के प्रसंग में अहिल्या उद्धार की ब्याख्या करते हुये कहा कि इस दुनिया में भूल कौन नहीं करता है। जिस चंचलता ने भूल कराया हो उसे समेट कर अहिल्या की तरह स्थूल हो जाओ। अहिल्या को उद्धार के लिए अयोध्या नहीं जाना पडा।
भगवान को खुद अहिल्या के पास चल कर आना पडा। जिसने अपनी भूल स्वीकार कर ली उसके पास भगवान को आना ही पडेगा। आपने अहिल्या प्रसंग की बहुत ही सुन्दर और सरल शब्दों में ब्याख्या करते हुए कहा की अहिल्या ने जिसने उसके साथ छल किया था उसका नाम नही लिया। किसी को अपने द्वारा दोष नहीं दिया। अहिल्या ने कहा कि पहले तो मुझे लगा था की मुनि ने मुझे श्राप दिया था पर आज लग रहा है की उन्होंने मुझ पर उपकार किया था। संत मोरारी बापू ने कहा की राम को गौतम आश्रम से ही पतित पावन नाम मिला था। रघुपति, राघव, राजाराम, पतित पावन, स्वयंवर के पश्चात सीता राम। रघुपति को सीता पति होने के मध्य में पतित पावन का नाम अहिल्या उद्धार के पश्चात गौतम आश्रम से ही मिला था।