मुक्ति का साधन है परमात्मा की सच्ची भक्ति
लालगंज-प्रतापगढ़ (चंदन विश्वकर्मा): परमात्मा के प्रति भक्ति मानव को सभी दुखों व पापों से मुक्ति प्रदान करता है। मनुष्य को सदैव प्रभु की शरण में रहते हुए पुण्य अर्जित कर जीवन को सार्थक बनाना चाहिए, इसी में उसका कल्याण है। उक्त उद्गार लालगंज कस्बे में 21 नवम्बर से आरम्भ हुए श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन बुद्धवार को कथा व्यास आचार्य संतोष जी महराज ने कहीं। कस्बा निवासी मुख्य यजमान तीर्थराज द्विवेदी एवं मालती देवी को श्रीमद्भागवत का मर्म बताते हुए मौजूद अपार श्रृद्धालुओं को कथा व्यास ने बताया कि सच्ची भक्ति वही है जिसमें मानव सदैव धोखा, अनाचार, पापकर्मों से चतुराई पूर्वक अपने को बाहर रखते हुए सन्मार्ग पर चले, प्रेम पूर्वक जीवन में रहे व सभी के प्रति प्रेमभाव रखे एवं सन्मार्ग के प्रति सदैव उत्कृष्ट दूर दृष्टि रखे। कथा व्यास आचार्य संतोष ने आगे कहा कि मानव जीवन में सुख, दुख आते जाते रहते हैं। राधे-राधे का संकीर्तन मानव के दुख के भवसागर से पार लगाने में सदैव सहायक होता है। कृष्ण ने संसार में भातृत्व तथा लोक जीवन में नैतिकता का सुचरित्र रखते हुए मानव जीवन को सभी प्राणियों के प्रति आदर व करुणा के भाव का मार्ग दर्शन किया है। मुख्य यजमान ने कथा व्यास को रोली चंदन से अभिषेक किया। इस मौके पर ऋषि कुमार द्विवेदी, आशीष द्विवेदी, सम्मान द्विवेदी, श्लोक द्विवेदी, करन, दिव्य, रुद्र, रामजी जायसवाल, डाॅ0 आरपी शुक्ल, डाॅ0 वीरेन्द्र मिश्र, दया शंकर पाण्डेय, आदि कथा व्यास की वाणी से बरस रही अमृत वर्षा में नहाते हुए जीवन को सार्थक करते दिखे।