मतदान हमारा संवैधानिक दायित्व-डा. मसूद
गाजीपुर व्यूरो (विकास राय) भारत दुनियां का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। शत प्रतिशत लोग मतदान में हिस्सा लें तो यह दुनिया का सबसे जागरूक मतदाताओं वाला देश बन सकता है। इसके लिये हमें चुनाव को महापर्व की तरह समझना होगा और सारे काम छोड़कर इसमें हिस्सा लेकर अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभानी होगी। यह बातें जनपद के ताजपुर स्थित ताज पब्लिक स्कूल के निदेशक डा मसूद अहमद ने कहीं। उन्होने कहा नया संविधान लागू होने से पहले भारत में 1935 के “गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट“ के अनुसार केवल 13 प्रतिशत जनता को वोट देने का अधिकार प्राप्त था जिसके लिए बड़ी बड़ी शर्तों का पालन करना पड़ता था। केवल अच्छे सामाजिक और आर्थिक स्थिति वाले नागरिकों को मताधिकार प्रदान किया जाता था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 325 व 326 के अनुसार प्रत्येक वयस्क् नागरिक को, जो पागल या अपराधी न हो, मताधिकार प्राप्त है।
किसी नागरिक को धर्म, जाति, वर्ण, संप्रदाय अथवा लिंग भेद के कारण मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। जिस देश में जितने ही अधिक नागरिकों को मताधिकार प्राप्त रहता है उस देश को उतना ही अधिक जनतांत्रिक समझा जाता है। इस के अलावा देश के नागरिकों को यह सावधानी भी बरतनी है कि अपने बहुमूल्य वोट को बर्बाद न होने दें ना ही चंद पैसों के लिए बिकने दें। अपना कीमती वोट गर्मी की परवाह किये बग़ैर ज़रूर डालें।