बीएलओ के बजाय दलालों की हो रही सुनवाई, बीएलओ में आक्रोश
कुण्डा, प्रतापगढ़: (अरूण द्विवेदी) केन्द्रीय चुनाव आयोग की कोशिशों पर स्थानीय तहसील प्रशासन लगातार पानी फेर रहा है, जिससे तहसील एक अनोखी कमाई का अड्डा बन गया है तो दूसरी तरफ आम जनता की मुसीबतें भी कम नहीं हो रही हैं। मतदाता सूची का सतत एवं व्यापक पुनरीक्षण के साथ प्रकाशन महज छलावा बना हुआ है, तहसील में मतदाता पहचान पत्र बनवाने का नया धंधा चल निकला है जबकि यही कार्य करने वाले बूथ लेबल अफसरों की एक नही सुनी जा रही है। साथ ही नाम परिवर्द्धन में भी खेल किया जा रहा है। बीएलओ द्वारा दिये गये नाम नहीं बढ़ाए जा रहे है जिससे उन्हें सेवित क्षेत्रों में जनता की जलालत झेलनी पड़ रही है। ऐसा ही हाल ग्राम पंचायतों की सूची में भी हो रहा है। बीडीसी व डीडीसी के सम्पन्न हुए चुनाव में भारी तादात में ग्रामीणों का नाम सूची से नदारद रहने से वोट न दे पाने की कसक से ग्रामीण मतदाता कराह उठे थे।
बेल्हा की कुण्डा तथा बाबागंज विधान सभा में पूर्व में मतदाता सूची में इस कदर नाम बढ़ाए गये कि आयोग का ही गणित गड़बड़ा गया, हालत यह रही कि सीईओ की बैठक में डीएम को कोई जवाब ही नही सूझा जिसका खामियाजा यहां के मतदाताओं को ही भुगतना पड़ रहा है। बीएलओ द्वारा लगातार दिये गयेे नाम न बढ़ाये जाने, संसोधन एवं अपमार्जन न होने की शिकायत संबंधित जिम्मेदारों से की जा रही है लेकिन नतीजा सिफर है। चुनाव सेल के प्रभारी का कहना है कि पूर्व में आयोग के नियमों से इतर आबादी के सापेक्ष दस से पन्द्रह फीसदी वोटर अधिक थे जिसके लिए प्रशासन की काफी किरकिरी हुई जिससे लगातार सुधार की कोशिशें जारी हैं यदि कही नाम नहीं बढ़ा है तो जांच कर आगे की समुचित कार्रवाई होगी। उधर, तहसील में ग्रामीण मतदाताओं को ठगने का नया सिलसिला चल निकला है, चुनाव सेल के एनआईसी में ठेकेदार द्वारा नियुक्त काम कर रहे प्राईवेट कर्मी दो सौ से पांच सौ रूपया लेकर पहचान पत्र बनाकर लाखों की कमाई कर रहे है तथा तहसील में दलाली का एक नया धंधा चल निकला है।