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पुरुष नसबंदी में मिसाल बनीं पिपराईच की सुनीता और लखपाती

Posted on: Wed, 24, May 2023 10:11 PM (IST)
पुरुष नसबंदी में मिसाल बनीं पिपराईच की सुनीता और लखपाती

गोरखपुर, उ.प्र.। जिले की पिपराईच ब्लॉक क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता सुनीता सिंह (40) और लखपाती देवी (41) पुरुष नसबंदी के क्षेत्र में मिसाल बन चुकी हैं। दोनों ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में (इस्टीमेटेड लेवल ऑफ अचीवमेंट) ईएलए का दोगुना योगदान देकर ब्लॉक का मान बढ़ाया है। प्रत्येक आशा को वर्ष में एक पुरुष नसबंदी करवाने का ईएलए दिया गया था, लेकिन इन दोनों आशा कार्यकर्ताओं ने दो दो पुरुष नसबंदी करवाया।

दोनों कार्यकर्ता पहले दंपति की आवश्यकता की परख करती हैं और इसके बाद पुरुष नसबंदी के फायदे बताते हुए पुरुष को प्रेरित करती हैं। ब्लॉक के सिधावल गांव की आशा कार्यकर्ता सुनीता सिंह बताती हैं कि वर्ष 2016 में उन्होंने योगदान देना शुरू किया। उनके घर में एक बेटा है और पति गुजर चुके हैं। सुनीता का कहना है कि अब परिवार नियोजन के विषय पर बात करने में उतनी बाधाएं नहीं आतीं क्योंकि दंपति में महिलाएं खासा सजग हैं। थोड़ी बहुत बाधा सास की तरफ से आती है, लेकिन उन्हें भी समझा लिया जाता है। पुरुष नसबंदी के लिए योग्य दंपति की पहचान बहुत आवश्यक है।

माड़ापार गांव की आशा कार्यकर्ता लखपाती देवी का कहना है कि वर्ष 2006 में उन्होंने आशा के तौर पर योगदान देना शुरू किया था। तब पुरुष नसबंदी की बात करना भी बड़ा कठिन था। चूंकि उनके खुद दो बच्चे हैं, इसलिए उन्होंने लोगों को अपने छोटे परिवार का महत्व समझाया। वह लोगों को बताती हैं कि अगर उनका परिवार बड़ा होता तो पति के गुजर जाने के बाद दो बच्चों को पालना मुश्किल हो जाता। वह बताती हैं कि पुरुष नसबंदी के लिए दंपति की एक साथ काउंसिलिंग जरूरी है । इस कार्य में परिवार नियोजन काउंसलर रीना, एएनएम और ब्लॉक के अधिकारी भी मदद करते हैं। बीते वर्ष दो बच्चों के बाद युवा दंपति में महिला ने नसबंदी की इच्छा जताई लेकिन वह काफी कमजोर थीं। उनके पति को समझाया गया कि अगर वह नसबंदी करवा लेंगे तो दूसरे दिन से ही काम कर सकेंगे, जबकि महिला को 15 दिन आराम करना पड़ेगा। पति आसानी से तैयार हो गये और नसबंदी करवा ली।

सुरक्षित है पुरुष नसबंदी

पिपराईच सीएचसी के अधीक्षक डॉ मणि शेखर का कहना है कि सीएमओ और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नंद कुमार के दिशा निर्देशन में जन जन तक यह संदेश पहुंचाया जा रहा है कि पुरुष नसबंदी सरल और सुरक्षित है। इसमें चीरा या टांका भी नहीं लगता है। लोगों को यह बात समझ में भी आ रही है। यही वजह है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में पिपराईच ब्लॉक से कुल 13 पुरुष नसबंदी हुई है जिनमें तीन आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम थी। सुनीता और लखपाती ने तो जिले में फर्स्ट रैंकिंग हासिल की है। परिवार नियोजन काउंसलर रीना ने भी चार पुरुष नसबंदी करवाया। आशा साधना देवी और एएनएम कलावती ने भी पुरुष नसबंदी में अच्छा योगदान दिया। एचईओ संजय सिंह, बीपीएम प्रशांत गोबिंद राव और बीसीपीएम विमलेश त्रिपाठी समय समय पर कार्यक्रम की समीक्षा करते रहते हैं और आवश्यकता अनुसार क्षेत्र में भी जाकर मदद करते हैं।

आशा की बात अच्छी लगी

दो बच्चों के बाद पुरुष नसबंदी करवाने वाले 25 वर्षीय छोटू का कहना है कि उन्हें आशा कार्यकर्ता लखपाती देवी की बात अच्छी लगी। घर में बुजुर्ग पिता हैं और दो बच्चे हैं। अगर पत्नी नसबंदी करवा लेंती तो उन्हें ज्यादा दिक्कत झेलनी पड़ती । घर का कामकाज भी ठप हो जाता है। वह बताते हैं कि नसबंदी के दूसरी दिन से ही गाड़ी चलाने का अपना काम करने लगे। न तो किसी प्रकार की कमजोरी हुई और न ही मर्दाना ताकत पर कोई असर पड़ा। नसबंदी करवाने में दर्द भी नहीं महसूस हुआ।

35 पुरुष नसबंदी हुई

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे के दिशा निर्देशन में वित्तीय वर्ष 2022-23 में जिले में कुल 35 पुरुष नसबंदी हुई। इसमें से 13 अकेले पिपराईच ब्लॉक ने करवाया है। ब्लॉक की दो आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका सराहनीय रही है। ग्रामीण क्षेत्र में सहयोगी संस्था उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ परिवार कल्याण कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दे रहे हैं। डॉ नंद कुमार, एसीएमओ आरसीएच




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