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West bengal

ई टिकटिंग के अवैध कारोबार का खुलासा, कई रडार पर

Posted on: Sat, 25, Jan 2020 1:08 AM (IST)
ई टिकटिंग के अवैध कारोबार का खुलासा, कई रडार पर

वेस्ट बंगाल ब्यूरोः (पवन शुक्ल) उन्नत किस्म के अवैध सॉफ्टवेयर से तत्काल श्रेणी के रेल टिकटों की कालाबाजारी से जुड़े मामले में आरपीएफ को बड़ी सफलता हाथ लगी है। वहीं इसके तार बिहार के साथ बंगाल के बंग्लादेश की सीमा से जुड़े होने की बात सामने आ रही है। बाजारों को खंगालने का क्रम जारी है। उधर आरपीएफ ने बारसोई से दो ई टिकटिंग एजेंट को गिरफ्तार किया है जिसका संबंध गिरफ्तार मास्टर माईंड गुलाम मुस्तफा से है और उससे लेनदेन की पुष्टि भी हुई है।

रेल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नाज ई इलेक्ट्रॉनिक सेंटर नामक एक दुकान में छापेमारी कर पूछताछ की गयी। संचालक घोलम हुसैन, ए पुत्र अयूब, ग्राम-डोंगल, थाना बलरामपुर, जिला-कटिहार को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसने कहा कि वह अधिकृत एजेंट हैं, लेकिन अपनी व्यक्तिगत आईडी पर टिकट बुक कर रहा था। उसके पास से 04 ई-टिकट जिसकी कीमत 2954 रूपये जो कि व्यक्तिगत आईडी पर बुक था, उसके पास से नकद 12100, 1 लैपटॉप, प्रिंटर और 1 मोबाइल बरामद हुआ है। जब्त आइटम आईपीएफ बारसोई को सौंप दिया गया।

आरपीएफ ने अपराध दर्ज किया। 33 वर्षीय मो. अनवारुल पुत्र मौलवी शमशुल हक के गांव बिजुरिया, थाना बारसोई, जिला कटिहार, बिहार के वहां छापेमारी में 02 ई टिकट 5617 मूल्य का जो व्यक्तिगत आईडी से बनाया गया था। अनवारुल के पास से 01 मोबाइल और 4500 जब्त कर बारसोई में केस दर्ज किया गया। पूछताछ मे पता चला है कि अनवारुल के तार गुलाम मुस्तफा के साथ जुड़े है और 02-02-19 से 19-09-19 के बीच तत्काल टिकटों की बुकिंग के लिए 19 लेन-देन 42215 रूपये का किया था। वह अपने मामा मो अब्दुल लतीफ के माध्यम से उसके साथ जुड़ा हुआ था जो अब पिछले 06 महीनों से अरब में रह रहे हैं।

क्या है मामला

आरपीएफ ने दलालों के ऐसे गिरोह को दबोचा है, जिसके तार टिकटों की कालाबाजारी के साथ आतंकियों से भी जुड़े हैं। गिरफ्तार दलालों में गिरिडीह (झारखंड) का रहने वाला मुख्य सूत्रधार गुलाम मुस्तफा समेत 24 लोग शामिल हैं। ये सभी आरोपी क्रिप्टो करंसी और हवाला (मनी लॉन्ड्रिंग) के जरिए पैसा विदेश भेज रहे थे। मुस्तफा की गिरफ्तारी ओडिशा से की गई। वह बेंगलुरू से टिकटों की कालाबाजारी करता था। इधर, आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने बताया कि इस गिरोह के पास उपलब्ध उन्नत तकनीक के बारे में भी पता चला है। इस गिरोह में 20 हजार से अधिक एजेंटों वाले 200 से 300 पैनल देश के साथ बिहार और बंग्लादेश के सीमाओं से सटे बाजारों में सक्रिय हैं।

ई टिकटिंग का मास्टरमाइंड हामिद अशरफ दुबई में बैठा है। वह बीते साल उत्तर प्रदेश के गोंडा स्कूल में धमाका करने के मामले से भी जुड़ा है। यह गिरोह पाकिस्तान के प्रतिबंधित संगठन तब्लीगी जमात से जुड़ा है। इसमें बेंगलुरु की एक सॉफ्टवेयर कंपनी की भी मिलीभगत है। गुरुजी के कोडनेम वाला एक उच्च तकनीक में माहिर गिरोह को सक्रिय मदद देता है। इस खुलासे के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), खुफिया ब्यूरो (आईबी), प्रवर्तन निदेशालय, कर्नाटक पुलिस की विशेष जांच इकाई भी जांच में जुड़ गई हैं।

अरुण कुमार के मुताबिक, टिकटों की कालाबाजारी में शामिल गिरोह का प्रमुख सदस्य गुलाम मुस्तफा हाल ही में भुवनेश्वर से पकड़ा गया था। उससे पूछताछ में इस पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ। गिरोह के पास फर्जी आधार कार्ड एवं फर्जी पैन कार्ड बनाने की तकनीक भी बेहतर है और बंगलादेश से लोगों को अवैध रूप से लाने एवं यहां बसाने का काम भी उसी आधार फर कर रहा था।

इस पूरे कालाबाजारी के को हैंडल करने वाला दुबई में बैठा हामिद अशरफ मूलरूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। वर्ष 2016 में आरपीएफ ने हामिद अशरफ को टिकट की कालाबाजारी में गिरफ्तार किया था। तत्काल टिकटों की कालाबाजारी से वह हर माह 15 करोड़ रुपए दुबई में बैठे-बैठे लेता है। अशरफ का सीधा कनेक्शन गुलाम मुस्तफा के साथ है।

उड़ीसा के मदरसे ली थी तालीम

मुस्तफा की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई ओडिशा के केंद्रपाड़ा स्थित मदरसों से हुई है। बाद में वह यहां से बेंगलुरु चला गया। वहां उसने 2015 में रेलवे टिकट की दलाली शुरू की। इस काम में माहिर होने के लिए उसने ई-टिकटों के सॉफ्टवेयर की ट्रेनिंग ली फिर ई-टिकट की कालाबाजारी से जुड़ गया। इस दौरान दूसरे शहरों में भी अपने साथी तैयार कर ई-टिकटों की कालाबजारी का नेटवर्क बना लिया। गुलाम मुस्तफा के साथ कई सॉफ्टवेयर डेवलपर भी जुड़े हुए हैं। इनके नीचे 200-300 लोगों का पैनल है। यही लोग झारखंड सहित देशभर के 20 हजार टिकट एजेंट से संपर्क में रहते हैं।

आरपीएफ के अनुसार, अब तक की जांच से पता चला है कि हर माह करीब 10 से 15 करोड़ रुपए देश से बाहर अलग-अलग तरीकों से भेजे जा रहे थे। आम तौर पर सामान्य रूप से टिकट बुकिंग की पूरी प्रक्रिया में तीन मिनट तक का समय लगता है। लेकिन इस गिरोह ने ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया है, जिससे एक मिनट में तीन टिकट बुक हो जाते हैं। इसी तकनीक के पकड़ में आने से आरपीएफ को गड़बड़ी का शक हुआ। जब इन टिकटों की जांच हुई तो ओडिशा से मुस्तफा की गिरफ्तारी हुई। उसके बाद इस काले कारोबार से जुड़े 23 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया। अन्य जांच एजेंसियों से भी इस नेटवर्क का भंडाफोड़ करने में सहयोग लिया जा रहा है।




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