छेद्दू चमार का परचा खारिज, 24 साल से लड़ रहे चुनाव
यूपी डेस्कः भारत में लोकतंत्र धीरे धीरे खत्म हो रहा है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में क्या हुआ, सारी दुनिया ने देखा, अरूणांचल में 10 विधायक निर्विरोध चुनाव जीत गये, सूरत में क्या हुआ, इंदौर में क्या हुआ, ओडिशा के पुरी में क्या हुआ। कांग्रेस को खत्म करने के लिये ये सरकार कितना नीचे गिरेगी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। ताजा मामला यूपी के कौशांबी संसदीय क्षेत्र का है।
यहां निर्दल उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करने वाले छेददू चमार का पर्चा खारिज कर दिया गया है। पर्चा खारिज होने से आहत छेददू ने डिप्टी सीएम पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि 11 बार चुनाव लड़ने के नाते उसे नामांकन की सारी औपचारिकतायें याद है। दाखिल किये जाने वाले सारे कागज उसकी जुबानी याद हैं। परचा खारिज होने के पहले उसे अपमानित करके कलेक्ट्रेट परिसर से बाहर भगा दिया गया था। पुलिस अफसर छेदू को उसकी औकात भी याद दिला रहा था। यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। सिराथू तहसील के तैबापुर गांव का रहने वाला छेददू चमार पेशे से बर्तन की फेरी लगाता है।
छेददू को आम जनमानस धरती पकड़ के नाम से जानते हैं। वह पिछले 24 साल के बीच में 11 चुनावों में अपनी उम्मीदवारी पेश कर चुका है। 2024 के आम चुनाव में छेददू ने अपनी तैयारी साल भर पहले से शुरू कर दी थी। इसके लिए उसने 2 मई को अपना नामांकन पत्र अपनी 95 साल की मां महेशिया, पत्नी उर्मिला एवं भाई व उनकी पत्नियों को प्रस्तावक बना कर दाखिल किया। नामांकन दाखिल कर लौटने के दौरान उसने एक छोटी सी भूल कर दी। वह पुलिस के सामने मीडिया को आकर्षित करने के लिए अपने चिर-परिचित अंदाज मे ढपली बजाने लगा। यह बात ड्यूटी पर तैनात सर्किल अफसर संत्येंद्र तिवारी को नागवार गुजरी।
उन्होने उसे न सिर्फ अपमानित किया बल्कि धक्का मारकर बाहर निकाल दिया। इस घटना का वीडियो खूब वायरल हुआ। 50 हज़ार से अधिक लोगों ने कमेन्ट कर छेददू के लिए इंसाफ की मांग की। मामले को तूल पकड़ता देख भारत निर्वाचन आयोग ने प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट जिला निर्वाचन अधिकारी से तलब की। देर रात डीईओ राजेश राय से मामले की जांच रिपोर्ट भेजे जाने की बात कही। शनिवार को नामांकन प्रपत्र की जांच के बाद डीईओ ने छेददू चमार का नामांकन खारिज कर दिया। जानकारी मिलते ही प्रत्याशी छेददू का सांसद बनाने का सपना चकनाचूर हो गया। छेददू चमार के मुताबिक, वह 11 बार चुनाव एवं 3 बार सांसदी का चुनाव लड़ चुका है। कागज मे कमी होने का सवाल ही नहीं खड़ा होता। इसके बाद फफककर कहता है कि गरीब व चमार होने के नाते डीएम ने उसे लूट लिया। पर्चा खारिज कर दिया।