दिव्यांगता को मात देकर मिसाल बनी सविता
ग़ाज़ीपुरः (अजय कुमार यादव) आज के मौजुदा वक्त मे हर व्यक्ति सिर्फ अपने बारे मे ही सोचता है। किसी भी अन्य व्यक्ति के बारे मे सोचने या जानने की फुरसत तक नही है। ऐसे मे अगर दिव्यांग और समाज से तिरस्कृत लोगो के बारे सोचने और उनके लिए कुछ करने की बात आ जाए तो लोग कोसो दूर हो जाते हैं। लेकिन दूसरी ओर जिले के एक दो नही बल्कि 250 दिव्यांग और मूकबधिर बच्चों की माँ, सविता माँ बनी हुई है। जो पेशे से आर०ई०एस० विभाग मे लेखाकार के पद पर कार्यरत हैं।
बिना किसी सरकारी सहायता के अपने वेतन और लोगो से मांग कर पिछले कई सालो से दिव्यांगों की देखभाल, पढाई, भोजन और हॉस्टल की सुविधा दे रही है। बच्चों की परवरिश में कभी भी जाति व् धर्म उनके आड़े नहीं आया। इसलिए वह मुस्लिम बच्चों को भी उतना ही प्यार व् दुलार करती हैं जितना कि अन्य को। इनके द्वारा दिव्यांगों को समय-समय पर कई तरह के कार्य भी सिखाए जाते है जिससे वह आत्मनिर्भर बनने के साथ ही अपना हुनर दिखा सके। वह बच्चो को प्रतिदिन संभालती ही नही है बल्कि उन्हे अपने पैरो पर खडा करने के लिए उन्हे शिक्षा के साथ ही व्यावसायिक शिक्षा भी देती है। ताकि ये बडे होकर किसी पर बोझ बनने के बजाय आत्मनिर्भर बन सके। इनके द्वारा संचालित “समर्पण” संस्था के बैनर तले चलने वाले “राजेश्वरी विकलांग विद्यालय” जो 2007 से चल रहा है, मे 250 से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
पढाई के लिए किताब, कापी और ड्रेस भी उन्हे मिलता है। सविता सिंह ने दिव्यांगों को ही अपना पूरा परिवार मान लिया है। सविता सिंह अपने 6 भाई-बहनों में सबसे छोटी थी। वह एक दम स्वस्थ पैदा हुई थी लेकिन 6 माह बाद एक पैर पोलियो से ग्रस्त हो गया। घर वालों ने ईलाज के बहुत सारे प्रयास किये लेकिन सफल नही हो पाये। सविता सिंह विकलांगता के बाद भी अपनी पढाई पुरी कर ग्रामीण अभियंत्रण सेवा मे लेखाकार के पद पर कार्यरत होकर विवाह न करने का फैसला किया। साल 2005 से ही दिव्यांग के सेवा के लिए समर्पण संस्था को आरम्भ किया। दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई तरह की समस्या भी इनके सामने आती हैं। सबसे बडी समस्या उन्हें आर्थिक समस्या आती है जिसके लिए किसानो से अन्नदान और व्यवसायियों से धन आदि की व्यवस्था करती हैं।
साथ ही वेतन भी बच्चों की देखरेख और स्टाफ के वेतन देने मे खर्च कर देती हैं। उनके अथक प्रयास की वजह से गाजीपुर के सुखबीर एग्रो एनर्जी ने न इन्हें सिर्फ जमीन उपलब्ध कराई बल्कि स्वयं के खर्च पर दिव्यांग बच्चों के लिए फतेउल्लाहपुर गांव में स्कूल और हॉस्टल के साथ ही पूरी सुविधा बनाकर साल 2018 में दिया है। इनके किए हुए कार्यों को देखकर अब तक न सिर्फ जनपद बल्कि प्रदेश और देश स्तर पर लोगों ने प्रभावित होकर इनका सम्मान किया है। यह अपने विद्यालय ने न सिर्फ दिव्यांगों को शिक्षा देती हैं बल्कि व्यवसायिक शिक्षा देकर प्रत्येक साल 7 से 8 बच्चों का रोजगार भी दिला रही हैं। साल 2008 में एक दिव्यांग जन की रेप मामले को लेकर लड़ाई लड़ने और उसके जन्मे हुए बच्चे को गोद लेना और अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेजवाने पर एक दैनिक अखबार के किसान मेला में इन्हें सम्मानित किया गया। साथ ही साल 2010 में इलाहाबाद में विकलांग जन स्वाभिमान सम्मान से नवाजा गया था।
इसके अलावा 3 दिसंबर 2011 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार और विकलांग कल्याण विभाग के द्वारा स्टेट अवार्ड भी दिया गया। 2013 में अमर उजाला रूपायन अचीवर अवार्ड। 2014 में वाराणसी के तत्कालीन कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने भी सम्मानित किया। साल 2015 सबसे खास रहा क्योंकि इस साल इन्हें नेशनल अवॉर्ड चेन्नई में मिला जो उन्होंने मशहूर संगीतकार एआर रहमान के हाथों “केविन केयर एपीलिटी अवॉर्ड” लिया। साल 2018 में 3 दिसंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा भी सम्मानित हुईं।