यहां पांच सौ साल पुरानी है भरत मिलाप की परंपरा
यहां पांच सौ साल पुरानी है भरत मिलाप की परंपरा
वाराणसी: वाराणसी में रावण दहन के ठीक दूसरे दिन भरत मिलाप का उत्सव मनाया जाता है जिसमें लाखों की भीड़ जमा होती है। कहा जाता है कि लगभग पांच सौ वर्ष पहले संत तुलसीदास जी के शरीर त्यागने के बाद उनके समकालीन संत मेधा भगत काफी विचलित हो उठे थे। मान्यता है कि उन्हें स्वप्न में तुलसीदास के दर्शन हुए और उसके बाद उन्हीं के प्रेरणा से इस रामलीला की शुरुआत की। यह त्योहार इकादाशी के दिन काशी के नाटी इमली के मैदान में होता है। लंका में रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद मर्यादा पुरोषोत्तम राम जब वापस लौटते है तो उस समय भरत मिलाप होता है। माना जाता है कि 473 वर्ष पुरानी काशी की इस लीला में भगवान राम का जीवंत दर्शन होता है।