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टीबी मरीजों का इलाज संभव, 4575 मरीज हुए स्वस्थ

Posted on: Fri, 24, Mar 2023 1:13 PM (IST)
टीबी मरीजों का इलाज संभव, 4575 मरीज हुए स्वस्थ

गोरखपुर, 23 माच। टीबी की समय से पहचान हो जाए तो इसका सम्पूर्ण इलाज हो जाता है और इसका एक व्यक्ति से दूसरे में संक्रमण भी रुक जाता है। जिले में जनवरी 2022 से लेकर अब तक 4575 मरीज टीबी की दवा खाकर ठीक हो चुके हैं। 9263 मरीजों का टीबी का इलाज चल रहा है और उन्हें राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम की समस्त सुविधाएं दी जा रही हैं।

टीबी उन्मूलन का संदेश देने के लिए विविध जनजागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में जिले में सभी सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य संस्थानों और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा 24 मार्च को विश्वय क्षय रोग दिवस मनाया जाएगा। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने जिला क्षय रोग केंद्र में पत्रकार वार्ता के दौरान दी। उन्होंने बताया कि विश्व क्षय रोग दिवस पर जिलाधिकारी गोरखपुर द्वारा सीएमओ कार्यालय से सुबह 10 बजे से जनजागरूकता रैली को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया जाएगा। इस रैली में स्वास्थ्यकर्मी, स्कूली बच्चे, एनएसएस और स्वयंसेवी संगठनों के लोग प्रतिभाग करेंगे।

रैली के जरिये संदेश दिया जाएगा कि अगर किसी के भीतर टीबी का लक्षण दिख रहा है तो उसे जांच और इलाज के लिए प्रोत्साहित करें। इस साल के विश्व टीबी दिवस की थीम है-हां, हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों में भी टीबी के जांच और इलाज की अच्छी व्यवस्था उपलब्ध है। जनवरी 2022 से अब तक सरकारी अस्पतालों की दवा खाकर 3420 टीबी मरीज पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। सरकारी क्षेत्र में 4689 टीबी मरीज इलाज करवा रहे हैं और उन्हें भी समस्त सुविधाएं दी जा रही हैं। टीबी मरीजों को इलाज चलने तक 500 रुपये प्रति माह पोषण के लिए दिये जाते हैं।

डॉ दूबे ने बताया कि टीबी मरीजों को ढूंढने के लिए हाल ही में सक्रिय क्षय रोगी खोजी अभियान (एसीएफ कैम्पेन) चलाया गया था जिसमें 342 नये टीबी रोगी मिले हैं। सभी का इलाज शुरू कर दिया गया है और उनसे खाता विवरण लेकर पोषण की धनराशि भेजने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गयी है। अगर समय से टीबी मरीज का इलाज न हो या मरीज बीच में दवा छोड़ दे तो ड्रग रेसिस्टेंट टीबी होने की आशंका बढ़ जाती है । इस टीबी का इलाज कठिन होता है और मरीज को कई प्रकार की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। डीआर टीबी का मरीज जिसे भी संक्रमित करता है वह ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (डीआर टीबी) का मरीज हो जाता है।

डीआर टीबी का इलाज भी संभव है। जिले में एक साल के भीतर 45 डीआर टीबी के मरीज दवा खाकर ठीक हो चुके हैं। इस अवसर पर जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश यादव, उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, चिकित्सा अधिकारी डॉ सुनील, डब्ल्यूएचओ कंसल्टेंट डॉ दीपक चतुर्वेदी, जिला कार्यक्रम समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्रा, मिर्जा आफताब बेग, केके शुक्ला, विनय कुमार गुप्ता, राजेश, कमलेश कुमार गुप्ता, इंद्रनील, एसटीएस गोबिंद, मयंक श्रीवास्तव, एसटीएलएस राघवेंद्र तिवारी, अभयनंदन, ओमप्रकाश, रामप्रकाश, भरत जायसवाल, श्वेता, शशि, स्वतंत्र और राजकुमार प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।

टीबी के लक्षण

दो सप्ताह से अधिक की खांसी, रात में बुखार या पसीने के साथ बुखार, वजन घटना, भूख न लगना, अत्यधिक कमजोरी महसूस करना

गैर सरकारी व्यक्ति दें सूचना

इस मौके पर जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश यादव ने बताया कि अगर कोई गैर सरकारी व्यक्ति नया टीबी मरीज खोजता है और जांच में टीबी की पुष्टि हो जाती है तो उसे भी 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि खाते में देने का प्रावधान है। टीबी मरीजों के सीबीनॉट, मधुमेह और एचआईवी जांच का प्रावधान भी है। टीबी मरीज के निकट सम्पर्की की भी जांच कराई जाती है और टीबी निकलने पर इलाज कराया जाता है। अगर निकट सम्पर्की को टीबी नहीं है तब भी उसे बचाव की दवा यानी टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) दी जाती है।

गोद लेने के लिए आगे आएं

सीएमओ ने बताया कि टीबी मरीजों को गोद लेकर पोषक सामग्री और मानसिक सम्बल देने वालों को निक्षय मित्र कहा जाता है। जिले में 779 निक्षय मित्र इस समय 2027 टीबी मरीजों को गोद लेकर उनकी मदद कर रहे हैं। जब कोई व्यक्ति टीबी मरीज को गोद लेकर उसे लगातार दवा खाने के लिए प्रेरित करता है तो मरीज आसानी से ठीक हो जाता है। मरीज के मन से भय और भ्रांति भी दूर हो जाती है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को स्वेच्छा से मरीजों को गोद लेने के लिए आगे आना चाहिए।




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