ये रंग व नस्ल के झगड़े ना रोके गए, तो हिफाज़त कहीं किसी की नहींः शकील आज़मी
मऊ (सईदुज्जफर) ये रंग व नस्ल के झगड़े ना रोके गए, तो फिर ये तय है कि हिफाज़त कहीं किसी की नहीं। इन पंक्तियों को प्रख्यात शायर शकील आज़मी ने श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया तो सभी ने तालियों की गूंज से उनका स्वागत किया। मौका था कोपागंज के हबीब इंटर कालेज में आयोजित गज़ल की एक शाम शकील आज़मी के नाम का।
मदहोशी, ज़हर या रब, ज़िद, लखनवी इश्क, शादी में ज़रूर आना, मुल्क, कर ले प्यार कर ले जैसी बालीवुड की चालीस से ज़्यादा फिल्मों में सुपर हिट गाना लिखने वाले व सात से ज्यादा किताबों के राईटर व एक दर्जन से ज़्यादा एवार्ड पाने वाले विश्व प्रख्यात अन्तरराष्ट्रीय शायर शकील आज़मी का स्वागत हबीब इंटर कालेज के प्रबंधक मास्टर सफीउर्रहमान, प्रिंसिपल निज़ामुद्दीन खां व राशिद असरार समेत समस्त प्राध्यापकों की तरफ से फूल माला पहना कर किया गया। मंच की कमान मिलने पर शकील आज़मी ने गज़ल व नज़्म की झड़ी लगा दी।
कोपागंज में मिले स्नेह व प्यार का ज़िक्र करते हुए कहा कि कोपा वालों में बहुत प्यार है इतनी माला पहना दी कि आज पता चला कि फूल में भी वज़न होता है। विशेषकर इन्होंने राशिद असरार का शुक्रिया अदा किया। अपनी शायरी सुनाते हुए आगे उन्होंने कहा कि इतनी खुशियां कहां से लाते हो, जब भी मिलते हो मुस्कुराते हो, परों को खोल जमाना उड़ान देखता है, ज़मीं पर बैठकर क्या आसमान देखता है, खुद को इतना भी मत बचाया कर, बारिशें हो तो भींग जाया कर, चांद लाकर कोई नहीं देगा, अपने चेहरे से जगमगाया कर आदि रचनाओं के जरिये लोगों का दिल जीत लिया।
इन्होंने अपनी नई किताब बनवास से भी कुछ नज़्में सुनायीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता शायर ज़हीरूलजब्बार गौहर ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ ज़्याउल्लाह व डॉ खालिद उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन खेसाल एडवोकेट ने किया। इस अवसर पर ज़की अहमद एडवोकेट, सभासद जावेद अख्तर, मौलाना ज़हीरूलहक, तारिक जमाल, मास्टर फय्याज़, अब्दुल मतीन, दानिश असरार, अहमद मकीन, डा रैहान, साजिद गुफरान, सईदुज़्ज़फर, सरफराज़ सिल्को, इंजीनियर सईदुर्रहमान आदि उपस्थित रहे।