हमसफर की गवाह बनी पहाडो की रानी
दार्जिलिंग हिल्स से पवन शुक्ल की रिपोर्ट: पहाडो की रानी दार्जिलिंग को फिर मिली इतराने की वजह। दो दिवसीय दौरे पर दार्जिलिंग पहुंचे रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने शुक्रवार को दार्जिलिंग हिल्स के गोरख रंगमंच भवन में आयोजित एक समारोह में जहां रिमोट से कोलकाता के हाबड़ा व यशवंतपुर के बीच चलने वाली हमसफर ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। वही पूर्वात्तर रेल के विकास को विस्तार से बताया। इस समारोह में केन्द्रीय राज्य मंत्री एस एस अहलुवालिया, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के महाप्रबंधक एके मित्ल, चाता राम, आर के वर्मा और गोरखलैंड क्षेत्रीय प्रशासन के प्रमुख बिमल गुरूंग के अलावा रेलवे के अधिकारी भी मौजूद थे।
पहली बार दार्जिलिंग में आयोजित रेल परामर्श समिति की बैठक को संबोधित करते हुए प्रभु ने कहा कि हमारी सरकार देश में रेल के विकास को लेकर पूरी तरह से प्रयासरत है और दिन प्रतिदिन नये नये आयाम रेल से जुड रहे हैं। पूर्वात्तर रेल की चर्चा करते हुए रेलमंत्री ने कहा कि भारत क पूर्वोत्तर के राज्यों मे रेल के जाल को और विकासित करने के साथ ही पडोसी देशों को इसका फायदा मिलेगा। गोरखाओं के त्याग और बलिदान और उनकी शौर्यगाथा की चर्चा करते उन्होंने कहा कि मैं गोरखाओं के देश सेवा और रक्षा की भावना से अभिभूत हूं और विश्वास है कि गोरखा हमारे सीमाओं की सुरक्षा में कोई कोताही नहीं करेंगे।
रेलमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने दार्जीलिग हिमालयन रेलवे के बारे में काफी कुछ सोच है, दार्जीलिग हिमालयन रेलवे के जरिये दार्जीलिग को पर्यटको का मुख्य केन्द्र बनाया जा सकता है जिस के लिये उन्होने आईआरएसीटी से सम्पर्क बनाने का जीटीए का आहवान भी किया है और आईआरएसीटी के अधिकारी को सहयोग करने का निर्देष देते हुए दार्जीलिग के धूम रेलवे स्टेषन को विष्वस्तरिय सुविधाओं से लैस करने के समेत अन्य सुविधओं के विस्तार के लिए रेलवे विभाग के अधिकारिओ को सहयोग करने का निर्देष भी दिए।
कार्यक्रम का शुभारंभ दार्जिलिंग कंचनजंगा नृत्य टोली द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनमोहक प्रस्तुति किया गया। इसके बाद दार्जीलिग हिमालयन रेलवे के कम्प्रिहेन्सिव कंजर्वेशन मैनेजमेंट प्लान के लिये युनेस्को और रेलवे मंत्रालय के बीच फंड इन ट्रस्ट समझौते पर में हस्ताक्षर हुआ। दार्जीलिग के संसद एंव केन्द्रीय राज्य मंत्री सुरेन्द्र सिंह आलुवालिया ने अपने संबोधन में ईमानदारी, बफादारी और जिम्मेदारी गोर्खाओ की पहचान बताते हुए कहा कि आजादी के आन्दोलन से लेकर आज भी देष की सरहदों की रखवाली में गोर्खाओ देश भक्ति का प्रमाण दे रहे है, इसलिये गोर्खाओ की जिम्मेदारीे का कदर करना होगा।