उगते सूर्य को अर्ध्य देने के पश्चात महिलाओं ने तोड़ा 36 घण्टे का निर्जला व्रत
भरुच, गुजरात (बीके पाण्डेय)। उगते सूर्य को अर्ध्य देने के पश्चात छत्तीस घंटों तक चलने वाला छठ महापर्व समाप्त हुआ और व्रती महिलाओं ने अपना व्रत तोड़ा। आखिरी दिन सुबह से नदी घाटों पर व्रती महिलाएं उगते सूर्य को अर्ध्य देने के लिए खड़ी रहीं। जैसे ही भगवान सूर्य का उदय हुआ, उन्हें अर्ध्य देने का सिलसिला शुरु हुआ।
व्रती फल और प्रसाद सेे भरा दउरा सूप लेकर भगवान भाष्कर की उपासना करती दिखी। अर्ध्य देने और पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण कर छत्तीस घंटे का निर्जला व्रत पूरा हुआ। इसी के साथ महापर्व छठ का समापन हो गया। इस अवसर पर महिलाओं ने पुत्र और अपने सुहाग के लिए मंगलकामना की। छत्तीस घंटे का निर्जला व्रत रहकर महिलाओं ने कठिन तप को पूरा किया। नर्मदा किनारे भोर में ही मंगल गीत गातीं व्रती महिलाओं का झुंड आना शुरु हो गया था।
घाटों पर प्रशासन के साथ दिनकर सेवा समिति के अध्यक्ष जे.जे.राजपूत, वी.के.श्रीवास्तव सहित अन्य लोगो ने अच्छा प्रबंध किया था। घाटों पर सुरक्षा के भी कड़े प्रबंध किए गए थे। ओस और हल्की ठंड के बीच घाट पर भगवान सूूूर्य की उपासना में जुटा महिलाओं का समूह अदभुत दृश्य उपस्थित कर रहा था। व्रती घुटने भर पानी में खड़े होकर सूप में फल आदि सब लेकर सूर्य देवता को अर्ध्य देने के लिए प्रस्तुत हुई तो उनके सहयोगी पति ने दूध और जलधार गिराकर सहयोग दिया।