रामकथा मानस मसान शव को शिव बनाने वाली कथा है
वाराणसीः (विकास राय) रामकथा मानस मसान शव को शिव बनाने वाली कथा है। जीवितों को तो कथा बहुत सुनाई जाती है लेकिन मेरी यह कथा मुर्दों के लिए है। इस मसान में जलने के लिए मुर्दा बनना पड़ता है। ये बातें संत मोरारी बापू ने कहीं। संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से डोमरी, रामनगर स्थित सतुआ बाबा की गौशाला परिसर में चल रही रामकथा मानस मसान में बापू ने मसान की महागाथा सुनाई।
मोरारी बापू ने कहा कि जीवन की कोई निश्चितता नहीं है लेकिन मृत्यु निश्चित है। जीवन सुख है तो मृत्यु उस सुख का सार है। जीवित लोगों के लिए युग-युग से रामकथा गाई जाती रही है लेकिन मेरी रामकथा मुर्दों के लिए है। मुर्दो के भी कान होते है और उनमें भी कुछ चेतना होती है। उन्होंने कहा कि रामकथा के माध्यम से जीवन को तलाशना चाहिए। यह वर्तमान का जवाब और भविष्य का मार्गदर्शन है। रामकथा अर्वाचीन समस्याओं के समाधान का माध्यम है, जो हर देश, हर काल और हर परिस्थिति में हमें सही मार्ग दिखाती है। पूरी रामचरित मानस सत्य, प्रेम और करुणा से लबालब है। उन्होंने कहा कि राम नाम का सच्चा जापक वही है, जो समाज का शोषण नहीं करे बल्कि पोषण करे।
संकीर्ण नहीं उदार बन कर रहे और सबका सहारा बने। बापू ने जीवन में सदाचार अपनाने की सीख दी। कहा कि सदाचारी व्यक्ति सदा सुखी रहता है। दुखी वही होता है जो दूसरों की प्रगति को देखकर ईर्ष्या करता है। साधु की व्याख्या करते हुए कहा कि साधु बनना बहुत कठिन है। साधु वो है जिसको किसी का डर ना हो। साधु प्रभावित नहीं करता है बल्कि प्रकाशित करता है। इसी तरह चेला बनना आसान है लेकिन गुरु बनना बहुत कठिन है। गुरु की शरण में जाने और उसके निर्णय को स्वीकार करने से मुक्ति मिलती है। इस दौरान भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, ट्रस्टी प्रकाश पुरोहित, सतुआ बाबा संतोष दास आदि ने व्यास पीठ की आरती उतारी।