देवरिया में शस्त्र लिपिक को रिश्वत लेते एण्टी करप्शन टीम ने पकड़ा
देवरिया, ब्यूरो (ओपी श्रीवास्तव)। योगी सरकार में रिश्वतखोरी लाइलाज बीमारी जैसी हो गई है। कोई सरकारी दफ्तर नही जहां बगैर रिश्वत के काम हो जाये। घूसखोरी की प्रवृत्ति सरकारी कर्मचारियों के सर पर एक नशा के रूप में चढ़कर बोल रही है। भले वह तहसील के राजस्व विभाग कर्मचारी हो अथवा कलक्टर के नाक के नीचे रहने वाले अन्य कर्मचारी।
शुक्रवार के दिन कलेक्ट्री कचहरी में तैनात सहायक शस्त्र लिपिक को शस्त्र लाइसेंस की द्वितीय प्रतिलिपि जारी करने के बदले में रूपया 10,000 की रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन टीम ने पकड़ लिया। इससे साबित हो रहा है कि उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में जिला स्तर अधिकारियों के नाक के नीचे घूसखोरी का धंधा चरम पर है। इस संबंध में जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह से वार्ता करने का प्रयास किया गया लेकिन उनका मोबाइल फोन नहीं अटेंड हुआ। दूसरी तरफ कलेक्ट्री कचहरी के कुछ कर्मचारी कोतवाली थाने पर पहुंचकर आरोपी व्यक्ति के पैरवी मे लगे हुए थे।
लेकिन जब पुलिस ने उनके खिलाफ भी कार्रवाई करने की चेतावनी दी तो कुछ कर्मचारी शनिवार के दिन से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की बात करते हुए कोतवाली थाने से आरोपी को निकाल लिया। हालांकि इस घटना के संबंध में दबी जवान से यह भी चर्चा है कि गिरफ्तार हुआ व्यक्ति चूंकि दलित जाति का है इसलिए कुछ सवर्णों ने उसके खिलाफ साजिश रच कर उसे गिरफ्तार करवाया है। मिली जानकारी के अनुसार जिले में कलेक्ट्रेट कार्यालय में शस्त्र लिपिक पटल पर कार्य करने वाले कर्मचारी राजेश कुमार प्रसाद पुत्र सुदामा प्रसाद ,निवासी ग्राम बड़हरा, थाना कोतवाली, जनपद देवरिया को शस्त्र लाइसेंस की द्वितीय प्रतिलिपि जारी करने के एवज में एक व्यक्ति से 10,000 रुपया रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया गया।
इस संबंध में शुक्रवार को जानकारी देते हुए भ्रष्टाचार निवारण संगठन गोरखपुर टीम के प्रभारी ने बताया कि शिकायतकर्ता दीनानाथ यादव पुत्र रामायण यादव, निवासी ग्राम महुई टोला पिपरहिया थाना बरियारपुर जनपद देवरिया ने कुछ दिनों पहले शिकायत किया था कि उसके पास शस्त्र लाइसेंस है। जिसकी द्वितीय प्रतिलिपि जारी करना है। इसके बदले में संबंधित लिपिक राजेश कुमार प्रसाद द्वारा ₹10000 की मांग की जा रही है।
प्रभारी के अनुसार शिकायत के आधार पर शुक्रवार को टीम ने कलेक्ट्री कचहरी परिसर से आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। टीम के प्रभारी के अनुसार इस संबंध में अभियोग पंजीकृत कर विधिक कार्रवाई की जा रही है। उल्लेखनीय है कि दो दशक पूर्व भी तत्कालीन एक शस्त्र लिपिक द्वारा 9 व्यक्तियों को फर्जी तरीके से शस्त्र लाइसेंस जारी कर दिए जाने के मामले ने काफी तुल पकड़ा था। जिसमें आरोपियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए थे और वे गिरफ्तार होकर जेल भी गए थे। घटना की तपिश में तत्कालीन जिलाधिकारी भी प्रभावित हुए थे। यह मामला कई सालों तक शासन प्रशासन में गूंजता रहा लेकिन वक्त के साथ ठंडा हो गया।