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Rajasthan

सरकारी सिस्टम की लापर वाही, कोरोना से हुई मौत के बाद पीड़ित के पसीने छुड़ा रहा सिस्टम

Posted on: Sun, 04, Jul 2021 9:50 AM (IST)
सरकारी सिस्टम की लापर वाही, कोरोना से हुई मौत के बाद पीड़ित के पसीने छुड़ा रहा सिस्टम

गोलूवाला, राजस्थान (बलविन्द्र खरोलिया) महामारी के इस दौर में कोरोना के कारण अपने परिवार जन की मौत के बाद जो दर्द बीमारी ने दिया उससे ज्यादा भयंकर दर्द अब सरकारी सिस्टम पीड़ित को देने में गुरेज नहीं कर रहा। कोरोना के कारण जान गंवाने वालों को चार लाख की आर्थिक सहायता सरकार द्वारा दिए जाने के झमेले में कई तरह के पेच उभर कर सामने आ रहे हैं। पहला पेच तो यही है कि अस्पताल यह लिख कर देने में ही गुरेज कर रहा है कि मौत कोरोना से हुई। अगर किसी जागरूक ने मौत का वास्तविक कारण लिखित में ले लिया तो अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही देखिए एक ही मृत्यु रिपोर्ट में ऊपर दिवंगत की मौत कोरोना से होना बताई जाती है।

लेकिन उसी पेज में नीचे मृत्यु का वास्तविक कारण निमोनिया बता दिया जाता है और यहीं से सारा झमेला शुरू होता है। पक्का भादवा गांव की वार्ड 2 निवासी 75 वर्षीय महिला कमला देवी पत्नी अमर सिंह सोनी को स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ होने पर 6 मई 2021 को जिला अस्पताल में जांच हेतु ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने महिला को कोरोना वार्ड में भर्ती कर उपचार शुरू कर दिया। लगातार कई दिन तक उपचाराधीन रही कमला देवी की मौत 27 मई को जिला अस्पताल के कोरोना वार्ड में हो गई।

परिजनों को डेडबॉडी कोरोना किट में डाल कर दी गई। चिकित्सकों के कहे अनुसार परिजनों ने मृत्यु के बाद हिंदू धर्म के होने वाले तमाम रीति रिवाजों को भूलकर कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मृतका का दाह संस्कार कर दिया। अस्पताल के उप नियंत्रक डॉक्टर गौरीशंकर ने जहां एक तरफ महिला की मौत कोरोना से होने की तस्दीक लिखित में की वहीं इसी रिपोर्ट में नीचे मौत का वास्तविक कारण निमोनिया लिख दिया। महिला के पति अमर सिंह सोनी ने 23 जून 2021 को स्थानीय जिला कलेक्टर कार्यालय में अपनी पत्नी की कोविड-19 से मृत्यु होने पर आर्थिक सहायता दिलवाने के लिए आवेदन दिया।

जिला कलेक्टर कार्यालय से संयुक्त शासन सचिव आपदा प्रबंधन सहायता एवं नागरिक सुरक्षा विभाग जयपुर के पत्रांक 1188 का हवाला देते हुए पीड़ित को कोविड-19 मृतक को एसडीआरएफ नॉर्म्स के अनुसार सहायता देय नहीं होने की जानकारी लिखित में देते हुए किसी तरह की मदद से इनकार कर दिया। अब पीड़ित ने जिला अस्पताल के उप नियंत्रक डॉ गौरी शंकर के खिलाफ न्यायालय में जाने का फैसला लिया है पीड़ित का कहना है कि एक तो उनके परिवार का सदस्य चला गया ऊपर से सरकारी सिस्टम उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर कर रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिए हैं सहायता उपलब्ध करवाने के निर्देश

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अभी बुधवार को अपने एक अहम फैसले में कुरौना के कारण जान गंवाने वालों के परिजनों को अनुग्रह राशि केंद्र सरकार द्वारा शीघ्र दिए जाने के निर्देश जारी किए हैं हालांकि अनुग्रह राशि कितनी दी जाएगी यह फैसला सरकार पर छोड़ दिया है।

क्या बोले जिला कलेक्टर

एक तरफ बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को निर्देश देकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कुरौना के कारण हुई मौत के मामले में परिजनों को सहायता राशि देने की बात कही गई है तो वही जिला कलेक्टर नथमल डिडेल द्वारा आवेदनकरता को एसडीआरएफ नॉर्म्स के तहत सहायता राशि नहीं दिए जाने के संबंध में लिखित जवाब दिया गया और यह दोनों ही बातें एक दूसरे के विपरीत हैं ऐसा लगता है कि जिला कलेक्टर ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का अध्ययन नहीं किया। आज जब संवाददाता ने जिला कलेक्टर नथमल डिडेल से इस बारे में जानकारी चाही तो उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ के तहत तो इस तरह की सहायता नहीं दी जा सकती किंतु अगर मृतका के परिजन सहायता लेना चाहते हैं तो वे उप निदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के यहां आवेदन करें।




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