सबसे बडा दान रक्त दान-डा. सानन्द सिंह
गाजीपुर व्यूरो (विकास राय) जनपद के गाधीपुरम बोरसिया स्थित सत्यदेव ग्रूप्स आफ कालेजेज के प्रबन्ध निदेशक डा सानन्द सिंह ने विश्व रक्त दान दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में कहा की आज 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस है। सन 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सौ फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान की शुरूआत की। इसमें 124 प्रमुख देशों को शामिल कर सभी से स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की अपील की गई।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य था, कि किसी भी नागरिक को रक्त की आवश्यकता पड़ने पर उसे पैसे देकर रक्त न खरीदना पड़े। इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अब तक 49 देशों ने स्वैच्छिक रक्तदान को अमलीजामा पहनाया है। हालांकि कई देशों में अब भी रक्तदान के लिए पैसों का लेनदेन होता है, जिसमें भारत भी शामिल है। डा सानन्द सिंह ने कहा की आज भी लोगों में रक्तदान के प्रति भ्रांतियां मौजूद है। जैसे रक्तदान करने से शरीर कमजोर हो जाता है या बीमार हो जाता है।
इसके अलावा ये भी माना जाता है कि जितना रक्त दान किया जाता है, शरीर में उसकी आपूर्ति महीनों में होती है, और लगातार रक्तदान से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। डा सिंह ने कहा की शरीर में रक्त बनने की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है, और हम एक बार में जितना रक्त दान करते हैं, उसकी आपूर्ति 24 घंटे में ही हो जाती है, लेकिन शरीर में उसकी गुणवत्ता पूर्ति में 21 दिनों का समय लगता है। लेकिन ध्यान रखने वाली बात यह भी है, कि आवश्यकता से अधिक रक्तदान भी शरीर के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा रक्तदान के पहले रक्त की जांच होना चाहिए, यदि आप धूम्रपान करने के आदि हैं, तो अपने रक्त की जांच अवश्य कराएं।