दलितों के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार
पटना (इंद्रा भूषण कुमार) दलितों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने के लिए सरकारी नौकरियों की पदोन्नति में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों को भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार आरक्षण देने जा रही है। इसके लिए सरकार अध्यादेश लेकर आ सकती है।
केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी के सहयोगी राम विलास पासवान जो दलितों के मुद्दे पर सरकार का मुख्य प्रवक्ता बनकर उभरे हैं, उन्होंने संवाददाताओं से यह बताया है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट का रूख करेगी और उनके आदेश पर दोबारा अपील करेगी। जिसके चलते इन समुदायों के प्रमोशन में रिजर्वेशन रूका हुआ है। इन समुदायों के मुद्दों को देखने के लिए बनाए गए मंत्रियों के समूह (ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स) के सदस्य पासवान ने कहा कि सरकार के सामने अध्यादेश लाने का भी विकल्प है। लेकिन सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का इस मामले पर रुख किया जाएगा। राम विलास पासवान की तरफ से यह घोषणा ऐसे वक्त पर की गई है जब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दो आदेशों के खिलाफ याचिका लगाने का फैसला किया।
इसमें सरकार ने इस बात पर बहस की कि यह दलितों के हितों के खिलाफ होगा। ऐसे समय में जब कई दलित समुदाय और विपक्षी पार्टियां लगातार बीजेपी पर निशाना साध रही है, सरकार यह दिखाने का प्रयास कर रही है कि वह दलितों के लिए बेहद गंभीर है। आनेवाले 2019 के लोकसभा चुनाव और कई राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते इस समुदाय का वोट बैंक किसी भी पार्टी के लिए काफी अहमियत रखता है। पासवान ने कहा कि कोर्ट ने एससी, एसटी के पक्ष में नौकरी में प्रमोशन को लेकर अपना फैसला दिया था। लेकिन उसके साथ ही कई शर्तें भी लगाई गई थी जिसके चलते कोटा गाइडलाइंस लागू नहीं हो पायी। उन्होंने कहा कि इस गाइडलाइंस के मुताबिक, राज्य और केन्द्र सरकार को प्रमोशन में रिजर्वेशन के लिए फायदा पानेवाले कर्मचारियों के पिछड़ेपन और उसकी क्षमता की जांच करनी होती है।