खालिद अनवर को विधान परिषद उम्मीदवार
पटनाः (राजेश कुमार साहु) गांधी मैदान में 15 अप्रैल को इतिहासिक आयोजित दीन बचाओ-देश बचाओ कॉन्फ्रेंस को बड़ी कामयाबी मिली है। इधर कॉन्फ्रेंस खत्म हुआ उधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हजरत मौलाना वली रहमानी साहब के करीबी कहे जाने वाले और दिल्ली से लेकर पटना तक साथ रहने वाले खालिद अनवर को विधान परिषद उम्मीदवार बना दिया।
वे पटना में कब्रिस्तान की जमीन खरीद बेच के इल्जाम से अभी बरी भी नहीं हुए थे कि दीन बचाओ देश बचाओ की कामयाबी का तोहफा नीतीश कुमार ने उन्हें विधान परिषद् प्रत्याशी बनाकर दिया। हांलांकि जनता का यह भी कहना है कि खालिद अनवर का सामाजिक स्तर पर जनता से कोई लेना देना नहीं रहा है। लेकिन फिर भी नीतीश कुमार लगातार ऐसे व्यक्ति सबको अपनी पार्टी में जगह देते है जो सिर्फ खुदकी दुकानदारी चलाने में माहिर हैं, मुसलमानों का सौदा करने के माहिर हैं। मुसलमानों की अगर बात करें तो यह तल्ख हकीकत होगा कि नीतीश कुमार ने जिस किसी मुस्लिम लीडर को अपनी पार्टी में जगह दिया है या दे रहे हैं उससे मुस्लिम समाज का कोई ताअल्लुक नहीं रहा है।
यही वजह है कि उनके पास वोटर्स नहीं है खासकर मुस्लिम वोटर्स तो बिल्कुल नहीं के बराबर है। ऐसे में उन्होंने एकबार फिर बड़ी गलती की है चाहे वह मौलाना के दबाव में लिया गया फैसला हो या मौलाना को खुश करने के लिए लिया गया फैसला हो। खालिद अनवर को विधान परिषद उम्मीदवार बनाने से मुसलमानों के बीच उन्हें कोई फायदा होने वाला नहीं है। कब्रिस्तान की जमीन खरीद बेच करने वाले खालिद अनवर से मुस्लिम समुदाय में काफी नाराजगी पहले से है। सरकार के मुखिया नीतीश कुमार को चाहिए कि इस फैसले पर पुनः विचार करें ताकि मुस्लिम समाज में जद यू0 का खोया हुआ वकार वापस लौट सके अगर ऐसा नहीं होता है तो आने वाले चुनाव तक ही अपना और पार्टी का सफाया भी तय ही समझें। यह सारी बातें ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवां के राष्ट्रीय अध्यक्ष नजरे आलम ने एक प्रेस ब्यान में कही।