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अब तक ग्यारह एसीएफ के जरिये 2778 टीबी मरीज ढूंढ कर किया जा चुका है इलाज

Posted on: Sun, 03, Dec 2023 10:39 PM (IST)
अब तक ग्यारह एसीएफ के जरिये 2778 टीबी मरीज ढूंढ कर किया जा चुका है इलाज

गोरखपुर, 03 दिसम्बर। दिसम्बर 2017 से शुरू हुआ सक्रिय क्षय रोगी खोजी अभियान (एसीएफ कैंपेन) टीबी उन्मूलन में मददगार साबित हुआ है। अब तक ग्यारह एसीएफ कैंपेन के जरिये 64.96 लाख लोगों की स्क्रीनिंग कर 2778 नये टीबी मरीज खोजे गये। इन मरीजों को जांच, इलाज, दवा और पोषण समेत उपलब्ध सरकारी सुविधाओं के जरिये स्वास्थ्य लाभ मिल चुका है। अभियान के दौरान टीबी के लक्षणों वाले संभावित टीबी रोगियों की बलगम जांच कराई जाती है।

बलगम में टीबी की पुष्टि न होने पर एक्स रे जांच के जरिये भी बीमारी का पता लगाया जाता है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश यादव का कहना है कि अगर किसी को भी दो सप्ताह से अधिक की खांसी, भूख न लगना, वजन कम होना, सांस फूलना, बलगम में खून आना या पसीने के साथ रात में बुखार आने जैसे लक्षण हों तो वह टीबी जांच जरूर कराए। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि अब तक के ग्यारह एसीएफ के दौरान 34400 लोगों के बलगम की जांच की गयी जिनमें से 2046 लोग टीबी के मरीज पाए गए। जिन लोगों में बलगम जांच से टीबी की पुष्टि नहीं हुई उनका एक्स रे कराया गया।

एक्स रे जांच में 732 नये टीबी मरीज पाए गए। जो भी टीबी मरीज मिलते हैं उनकी ड्रग सेंस्टिविटी की जांच कराई जाती है। अगर मरीज को ड्रग सेंस्टिव टीबी है तो उपचार छह माह चलता है, जबकि ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के मरीज का उपचार डेढ से दो साल तक चलता है। मरीज को उपचार चलने तक 500 रुपये प्रति माह पोषण के लिए उसके बैंक खाते में दिये जाते हैं। जरूरतमंद मरीज का एडॉप्शन भी करवाया जाता है। सभी मरीजों की एचआईवी और मधुमेह की भी जांच कराई जाती है। टीबी मरीज के निकट संपर्कियों की भी स्क्रीनिंग कराई जाती है और उनमें टीबी न मिलने पर भी उन्हें बचाव की दवा दी जाती है।

डॉ यादव ने बताया कि इस समय 10.42 लाख की आबादी के बीच स्वास्थ्यकर्मियों की 444 टीम नये टीबी मरीज खोज रही है। अगर किसी को भी संभावित टीबी मरीज दिखे तो उसे जांच के लिए प्रेरित कर टीम का सहयोग कर सकते हैं। टीबी जांच के लिए बलगम का सैंपल किसी भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर दिया जा सकता है। अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता और एएनएम की मदद से टीबी जांच और इलाज की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। जिले में इस समय चल रहे एसीएफ अभियान के दौरान अभी तक तक 5.96 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गयी है, जिनमें से 2258 संभावित टीबी रोगी मिले। जांच के बाद 167 टीबी मरीज मिले हैं। इन मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है। अभियान अभी पांच दिसम्बर तक चलेगा।

वरदान बना अभियान

चरगांवा ब्लॉक के निवासी 48 वर्षीय रमेश (काल्पनिक नाम) पेशे से ऑटो चालक हैं। वह बताते हैं कि 27 फरवरी 2023 को अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम उनके घर आई थी। इससे पहले एक महीने से उनकी दो बच्चियां खांसी से पीड़ित थीं। उनकी सांस भी फूलती थी। वह बच्चियों को मेडिकल स्टोर से लाकर दवा खिला रहे थे। घर पहुंची टीम ने जब टीबी का लक्षण बताया तो घर वालों ने बच्चियों के बारे में जानकारी दी। 18 वर्षीय छोटी बेटी को साथ लेकर गांव की आशा कार्यकर्ता शशिकला चरगांवा पीएचसी गई जहां बलगम जांच से टीबी का पता चला। दवा शुरू कर दी गयी।

इसके बाद उन लोगों ने 21 वर्षीय बड़ी बेटी को भी आशा कार्यकर्ता के साथ जांच के लिए भेजा। उसे भी टीबी निकली। रमेश का कहना है कि दोनों बच्चियों को इलाज और दवा चरगांवा पीएचसी से ही मिला। दोनों के खाते में 3000-3000 रुपये आए। इलाज के दौरान बच्चियों ने खाने में मांस, मछली, दाल जैसे प्रोटीन युक्त आहार का सेवन किया। पूरे परिवार की भी जांच हुई। अगस्त 2023 तक दोनों बच्चियां ठीक हो गईं और अब उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। उपचार के दौरान सीनियर ट्रिटमेंट सुपरवाइजर मनीष तिवारी का पूरा सहयोग मिला और उनकी मदद से दोनों बच्चियों को समय से दवाएं और पोषण के लिए आर्थिक मदद मिल सकी।

करें सम्पर्क

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि टीबी संबंधी अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 180011666 पर सम्पर्क किया जाना चाहिए। जिला स्तर पर मदद के लिए पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र के मोबाइल नंबर 8299807923 पर सम्पर्क किया जा सकता है। जिला क्षय रोग केंद्र पर कार्यक्रम समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह और पीपीएम समन्वयक मिर्जा आफताब बेग से भी सम्पर्क कर मदद ली जा सकती है।




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