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10 मई 2024
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पशुओं के आतंक से परेशान हैं किसान

Posted on: Wed, 20, Dec 2023 3:52 PM (IST)
पशुओं के आतंक से परेशान हैं किसान

भरुच, गुजरात (बीके पाण्डेय)। भरुच जिले की हांसोट,अंकलेश्वर व भरुच तहसील के किसान पिछले काफी समय से विचित्र आफत का सामना करने को बाध्य हो रहे हैं। कम आबादी वाले व वीरान की तरह दिखने वाले आलियाबेट से जंगली सुअर व नीलगाय के झुंड ने शेरा सहित गांवों में अपना आतंक मचा कर रखा है। इस इलाके की तेरह सौ एकड़ के करीब जमीन में खेती करने वाले किसान अब खेती छोड़ देने के मूड में दिख कर मजदूरी करने के मूड में दिख रहे हैं।

आलियाबेट व उतराज की वीरान जगहों में से आने वाले जंगली सुअर, नील गाय, सांडों के द्रारा खेतों को नष्ट कर दिए जाने से किसान कर्जदार बन रहे हैं। जानवरों के द्रारा खेत में लगी फसल पूरी तरह से छिन्न भिन्न हो गई है। जहाँ से पशुओं का आगमन होता है उस स्थान पर फैं सिंग कराने की मां शेरा गांव के किसानों की ओर से की जा रही है मगर उनकी मांग वन विभाग की फाईलों में धूल चाटती दिख रही है। वन विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नही उठाये जाने से किसानों को काफी ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

मात्र शेरा गांव ही नही अपितु अंकलेश्वर तहसील के धंतुरिया,सजोद, सफ रुद्दीन व बोरभाठा बेट सहित गांवों में लगभग एक हजार से ज्यादा जंगली सुअर व सौ से ज्यादा नील गायों की हाजिरी देखने को मिल रही है। जंगली जानवरों का आतंक मात्र इन गांवों तक ही सीमित न रहकर भरुच तहसील के पूर्व इलाके तवरा, शुक्लतीर्थ सहित के गांवों तक में भी देखने को मिल रहा है। शेरा गांव की बात की जाये तो इस इलाके में 1200 एकड़ से ज्यादा जमीन में तैयार हुई फसल को पशुओं ने बुरी तरह से नष्ट कर दिया है।

लगभग ढाई सौ से ज्यादा किसान पिछले कुछ सालों से खेती को छोड़ दिया है। किसानों ने बताया कि सुअर व नीलगाय की वजह से फसल को बीस से लेकर अस्सी प्रतिशत तक नुकसान हुआ। इस बात को लेकर वन विभाग में गुहार लगाते लगाते किसान थक चुके हैं।

मिला है कानूनी संरक्षण

नीलगाय को कानूनी सुरक्षा मिली हुई है। नीलगाय को वन जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनूसूचि तीन में समाहित किया गया है। इस जानवर का शिकार करने पर जेल अथवा दंड अथवा दोनो सजा का प्रावधान है जिस कारण किसानों की खेत मे लगी फसल को काफी नुकसान होने के बाद भी किसान चाहकर भी कुछ नही कर पा रहे हैं।

किसानों को मिल सकती है राहत

शेरा गांव के किसानों ने कहा कि जंगली सुअर व नीलगाय की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है व इस कारण किसान खेती नही कर पा रहे हैं। खेती करने जाये तो जंगली सुअरों का झुंड हमला कर देता है। खेत में फसल लगाई जाए तो बीस से अस्सी प्रतिशत इन पशुओं की वजह से चौपट हो जा रही है व किसानों की पूरी मेहनत व लागत पानी में चली जा रही है। खेत मे जाकर खेती करना अब खतरनाक काम बन रहा है। वन विभाग पशुओं को पकडऩे का काम करे तो किसानों को कुछ राहत मिल सकती है। सरकार को जल्द से जल्द कदम उठाना चाहिए।

बचाने के लिए पड़ता है भागनाः- फसल को नुकसान से बचाने के लिए व जंगली सुअरों व नीलगायों को रोका जाये तो यह हमला कर देती हैं। कई बार तो किसानों को जान बचाने के लिए पास के जंगलों में भागना पड़ जाता है अथवा पेड़ पर चढऩा पड़ता है। झटका मशीन के तारों को सुअर तोड़ देते हैं। नील गाय का झुंड पूरे खेत का सफाया कर देती है।

तार की फैंसिंग भी हुई बेकार

हाल में सरकार की ओर से तार की वाड़ लगाने के लिए किसानों को सहायता देने का काम किया जा रहा है मगर नीलगाय व जंगली सुअरों के सामने यह वाड़ भी निष्फल साबित हो रही है। सुअर तार के नीचे की जमीन को खोद कर खेत में प्रवेश कर फसल को रौंद व चर रहे हैं जिस कारण किसानों को आर्थिक रुप से भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।




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