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Bihar

मासूम संग ठोकरें खा रही है अंधी विधवा

Posted on: Mon, 09, Apr 2018 8:46 AM (IST)
मासूम संग ठोकरें खा रही है अंधी विधवा

दरभंगा (राजेश कुमार साहु) सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई...। गोपी फिल्म के इस गाने की हकीकत पकड़ी चौक के एक दवा दुकान पर उस समय देखी गई जब पच्चीस वर्षीय एक अंधी विधवा महिला मीना देवी अपने बीमार बच्चे की दवा लेने के लिए पहुंची।

विधवा की गोदी में एक साल की बीमार बेटी सपना थी जो सात वर्षीय पुत्र श्रवण के कंधे पकड़ कर पहुंची थी। जानकारी के अनुसार पकड़ी पंचायत के मिल्की टोला गांव के जोधन मुखिया की इस अंधी पुत्री की शादी आठ साल पहले इसी पंचायत के गोसवा गांव के बृहस्पति मुखिया (अल्प अंधा) के साथ हुई थी। दोनों का जीवन गांव में ही हाथ फैलाने से जैसे-तैसे चल रही था। इसी क्रम में एक पुत्र व एक पुत्री ने भी जन्म लिया। दो माह पूर्व ही अचानक बीमार पड़ने के कारण बृहस्पति मुखिया का देहांत हो गया। अब पिछले दो माह से मासूम को गोदी में लिए अंधी विधवा महिला टूटे मन से पुत्र को अपनी तीसरी आंख बनाकर घरों के दरवाजे खट खटाकर जीवन यापन करने को विवश है।

इसी क्रम में नन्हीं पुत्री बुखार से पीड़ित हो गई जिसे लेकर वह पकड़ी चौक के एक दवा दुकान पर पहुंची और पुत्री की इलाज के लिए दुकानदार से दवा मांगी। दुकानदार ने भी कुछ दवाइयों के अलावे बच्ची को बिस्किट खिलाकर हौसला बढ़ाया। विधवा व अंधी महिला ने पूछने पर बताया कि उन्हें तो आज तक विकलांग पेंशन हो अथवा कबीर अंत्येष्टि या पारिवारिक लाभ कुछ भी नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि वो तो अंधी है लेकिन हमेशा से चर्चाएं करते रहने के बावजूद भी इसके लिए कोई आगे नहीं बढ़ता है। टूटे मन से कहती है कि भगवान की नाराजगी के साथ लोग भी दुखियारिन को देखना शायद पसंद नहीं करते हैं। ऐसे में अपने दोनों बच्चों को सहारा मानकर जीवन यापन कर रही है। आश्चर्य की बात तो यह है कि वार्ड सदस्य हो अथवा पंचायत समिति या मुखिया की नजरें आखिर इस असहाय महिला की ओर क्यों नहीं दौड़ रही है।




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