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04 मई 2024
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Uttar pradesh

जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम की हुई समीक्षा

Posted on: Tue, 23, Apr 2024 3:14 PM (IST)
जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम की हुई समीक्षा

गोरखपुर, 23 अप्रैल। मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार मीणा की अध्यक्षता में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक सोमवार को देर शाम तक चली। बैठक के दौरान मातृ शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों, टीबी उन्मूलन, नवजात स्वास्थ्य कार्यक्रम और विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों की विस्तार से समीक्षा की गयी। इस दौरान नियमित टीकाकरण कार्यक्रम की खासतौर से समीक्षा हुयी।

मुख्य विकास अधिकारी ने बैठक में मौजूद सभी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिया कि बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को मजबूत बनाएं। जिले भर में ऐसे परिवारों की पहचान की जाए जो नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के प्रति उदासीन हैं। उन परिवारों को प्रेरित किया जाए और टीकाकरण की महत्ता से उन्हें अवगत कराया जाए। यह संदेश दिया जाए कि जन्म से पांच साल की उम्र तक सात बार टीकाकरण जरूरी है। जिन टीकों के लगने के बाद सामान्यतया बच्चों को बुखार आता है।

उनके संबंध में अभिभावकों को अवगत करा दिया जाए कि बुखार आना टीकाकरण का बेहद ही सामान्य प्रभाव है और इससे घबराना नहीं है। साथ ही अभिभावकों को बच्चे के लिए बुखार की दवा भी दी जाए। उन्होंने संचारी रोग नियंत्रण अभियान की समीक्षा में उपस्थित न रहने वाले विभागों को कारण बताओं नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा कि हाईग्रेड फीवर के मरीजों को ईटीसी में अवश्य भर्ती किया जाए। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि जिले में मीजल्स रूबैला के उन्मूलन के लिए नियमित टीकाकरण और इसकी रिपोर्टिंग के बारे में खासतौर से चर्चा हुई।

निर्देश दिया गया कि एएफपी, मीजल्स रूबैला, डिप्थीरिया, पर्टूटिस और न्यूओनेटल टिटनेस के मामलों की रिपोर्ट अवश्य करें। रिपोर्टिंग, सर्विलांस और टीकाकरण के जरिये इन सभी पर प्रभावी नियंत्रण बना रहेगा। बैठक के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, यूपीटीएसयू, पाथ और सीफार के प्रतिनिधिगण ने प्रस्तुति दी जिनके आधार पर आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये। बैठक में टीबी मरीजों की पहचान के लिए ओपीडी के पाच फीसदी संभावित मरीजों की जांच, निक्षय पोषणा योजना के पूर्ण भुगतान, टीबी की दवाओं को क्रय कर उपलब्ध करवाने, गर्भावस्था के दौरान की समस्त आवश्यक जांचे कराने, समुदाय स्तर से एसएनसीयू और एबीएसयू में बीमार नवजात को रेफर करने, मातृ और शिशु मृत्यु विश्लेषण और बड़हलगंज में एफआरयू को क्रियाशील बनाने समेत विभिन्न मुद्दों पर मुख्य विकास अधिकारी के स्तर से निर्देश जारी किये गये।

जिले में संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान के दौरान हाई रिस्क विलेज में विशेष पहल कर एक साथ एक ही दिन सभी विभागों द्वारा आयोजित की जा रही गतिविधियों की बैठक के दौरान सराहना की गयी। इस अवसर पर जिला महिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ जय कुमार, एसीएमओ आरसीएच डॉ एके चौधरी, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा, जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ बीके सुमन, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ वीपी पांडेय, जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ राजेश कुमार, उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से जिला कार्यक्रम प्रबन्धक पंकज आनंद, डीडीएम पवन कुमार गुप्ता, शहरी स्वास्थ्य मिशन समन्वयक सुरेश सिंह चौहान, जेई एईएस कंसल्टेंट सिद्धेश्वरी सिंह, आरबीएसके की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना और सहायक आदिल फखर समेत जिले के विभिन्न विभागों के प्रतिनिधिगण, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

बुखार का भय भी बाधा

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि बैठक के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रस्तुत फीडबैक के अनुसार कुछ टीकों के लगने के बाद आने वाला बुखार भी इस कार्यक्रम की एक बाधा है। ऐसे बच्चों के अभिभावक पहला टीका लगने के बाद आने वाले बुखार के कारण बच्चों को दूसरी बार टीका नहीं लगवाते हैं। खासतौर से पेंटा वन, पेंटा टू और डीपीटी के टीके के बाद बुखार आना सामान्य बात है। ऐसे लोगों के मन के वहम को दूर कर शत फीसदी बच्चों के टीकाकरण का प्रयास किया जा रहा है।




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