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Uttar pradesh

पांच साल से नही हुई शिक्षक भर्ती, युवा आक्रोशित : अजय राय

Posted on: Mon, 26, Feb 2024 10:00 PM (IST)
पांच साल से नही हुई शिक्षक भर्ती, युवा आक्रोशित : अजय राय

लखनऊ, 26 फरवरी। आज बीटीसी, डीएलएड टीईटी, सीटीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मंत्री अजय राय से मिला। प्रतिनिधि मंडल में डीएलएड संयुक्त प्रशिक्षित मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रजत सिंह एवं संयुक्त मोर्चा संघ के अध्यक्ष राहुल यादव, ज्ञानेन्द्र वर्मा, लवकुश मौर्य, आलोक पाण्डेय शामिल रहे। युवाओं ने बताया की पिछले 5 वर्षों से प्राथमिक शिक्षा विभाग में कोई भी भर्ती नहीं हुई है।

प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिवर्ष प्राथमिक में शिक्षकों के लिए दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स (बीटीसी, डीएलएड) कराया जाता है, जिससे करीब दो लाख प्रशिक्षु प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। किन्तु प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती 05 दिसंबर 2018 के बाद नहीं हो सकी। इसके साथ सरकार हर साल टीईटी की परीक्षा कराती है जो एक योग्यता परीक्षा है। हर वर्ष लगभग 20 लाख के आस पास युवा इस योग्यता परीक्षा को देते हैं जिसका शुल्क लगभग 1200 रुपये है। एक अनुमान के मुताबिक सरकार प्रति वर्ष सिर्फ शुल्क से 2.5 अरब रुपये प्राप्त करती है। हालांकि पिछले दो वर्षों से सरकार ने ये परीक्षा भी नहीं कराई है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका गुप्ता ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि युवा सरकार की इस संवदेनहीनता से दोहरी मार खा रहे हैं, एक तो नौकरी न मिलने से बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं, दूसरा सरकार उनसे शुल्क लेकर अपना खजाना भर रही है। कुछ वर्ष पहले जब संसद में धर्मवीर सिंह ने उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षकों के रिक्त पदों का विवरण मांगा तब केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ0 रमेश पोखिरियाल निशंक ने आंकड़ा प्रस्तुत किया जिसके अनुसार 2 लाख 17 हजार 4 सौ 81 पद प्राथमिक शिक्षकों के रिक्त हैं।

सरकार ने शिक्षक छात्र अनुपात के सम्बंध में एक कमेटी का गठन किया था जिसकी रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई है। पिछले कार्यकाल में योगी सरकार ने प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक की भर्ती के लिए एक भर्ती आयोग बनाने का शिगूफा छोड़ा था। सात साल बीत जाने के बाद भी ये आयोग अभी तक काम करना शुरू नहीं कर पाया है। सरकार की इस सुस्त गति के कारण कोई भर्ती नहीं हो पा रही है, जिस वजह से लाखों प्रशिक्षित युवा बेरोजगारी का दंश झेलने को अभिशप्त हैं। अगर सही से शिक्षक छात्र अनुपात के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति करे तो उ0प्र0 में लगभग 7 लाख शिक्षकों की आवश्यकता है, मगर वर्तमान में सिर्फ 3 से 4 लाख अध्यापक ही कार्यरत हैं। ऐसे में सरकार की नई शिक्षा नीति के द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने का दावा भी खोखला है।




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