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कर्मयोगी कमल सिंह का निधन

Posted on: Sun, 05, Jan 2020 5:02 PM (IST)
कर्मयोगी कमल सिंह का निधन

गाजीपुर व्यूरो (विकास राय) पौराणिक एवं ऐतिहासिक काल से ही बिहार की उर्वरा धरती को अनेक ऋषियों, महर्षियों, राजर्षियों एवं कर्म योगियों की जन्मभूमि होने का गौरव प्राप्त रहा है। इसी गौरवशाली परम्परा की एक अन्यतम पहचान महाराजा बहादुर कमल सिंह हैं। जीवन के 93 बसन्त देख चुके महाराजा बहादुर आज हमारे बीच नहीं रहे। राजमहल में जन्म पाकर भी वैभव विलास से निर्लिप्त इस महान कर्मयोगी का जन्म 29 सितंबर 1926 को डुमरांव राजगढ़ में हुआ था।

आप महाराजा बहादुर रामरण विजय सिंह जी के ज्येष्ठ पुत्र थे। आपकी माता का नाम महारानी कनक कुमारी था। आपके पितामह महाराजा बहादुर सर केशव प्रसाद सिंह थे। आपकी शिक्षा-दीक्षा उस समय के राष्ट्रीय स्तर के विद्यालय कर्नल ब्राउन्स स्कूल देहरादून में आठ वर्ष की अवस्था से प्रारंभ हुई। विद्यालयी शिक्षा समाप्त करने के पश्चात देहरादून से इंटर कॉलेज से इंटर की शिक्षा पूर्ण हुई। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आपके अध्ययन के विषय अंग्रेजी,इतिहास और राजनीति शास्त्र थे। शिक्षा समाप्ति के पश्चात 9 मई 1946 को आप महारानी उषा रानी के संग प्रणय सूत्र में आबद्ध हुए और इसके साथ ही रियासत के कार्यों में सक्रिय भाग लेना प्रारम्भ कर दिया। पिता श्री के निधन के पश्चात आपने महाराजा के रूप में राज प्रशासन का भार ग्रहण किया।

महाराजा बहादुर का सामाजिक जीवन अत्यंत विस्तृत और विशाल था। आपकी स्मरणशक्ति बेजोड़ थी। एक बार जो आपसे मिल लेता था वो आपके उदार और आपके आत्मीयता पूर्ण व्यहार से निहाल हो जाता था। सामाजिक संबंधों का आप भरपूर ध्यान रखते थे। यही कारण है कि आपके लोग आपका बनकर रहने में गर्व की अनुभूति करते थे। राजनीति आपको विरासत में प्राप्त हुई थी। आपके पितामह महाराजा सर केशव प्रसाद सिंह जी गवर्नर की कार्यकारिणी समिति के वित्त सदस्य थे। आपके पिता महाराजा रामरण विजय सिंह भी सेंट्रल एसेम्बली के सदस्य थे। यही कारण है कि भारतीय संविधान के तहत प्रथम आम चुनाव की घोषणा होने पर आपने बक्सर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में विजयी घोषित किये गए।

पुनः 1957 के द्वितीय आम चुनाव में भी बक्सर लोकसभा क्षेत्र से दूसरी बार स्वतन्त्र उम्मीदवार के रूप में विजय श्री का हार पहना। एक सांसद के रूप में आपका कार्यकाल सक्रियता से भरा रहा। वर्तमान में आपका परिवार भरा पूरा है। आपके दो सुपुत्र युवराज चन्द्रविजय सिंह और महाराज कुमार मानविजय सिंह जी हैं। पौत्रों में सुमेर विजय सिंह. शिवांग विजय सिंह एवं समृद्ध विजय सिंह हैं। पौत्री आकृति सिंह एवं रोहिणी सिंह तथा प्रपौत्र में ध्रुव विजय सिंह एवं प्रपौत्री सुभाँगना है। आज आप हमारे बीच नहीं हैं। डुमरांव समेत बक्सर के विशाल वृक्ष के आश्रय में पल रहे समस्त जन छायाविहीन हो गए। आपके श्री चरणों में श्रद्धा के दो फूल सादर समर्पित करते हुए ईश्वर से आपकी आत्मा को सद्गति प्रदान करने की अश्रुपूरित कामना करता हूं।




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