अब कहां रही सिद्धान्तों की राजनीति- राम किशोर
मधवापुर, मधुबनी, बिहार: (दीपक कुमार) 75 वर्ष की उम्र में भी मधुबनी जिले के मधवापुर प्रखंड के बैंगरा गांव के अवकाश प्राप्त एचएम राम किशोर प्रसाद ठाकुर बिल्कुल स्वस्थ हैं और राजनीति की दशा-दिशा पर गहरी नजर रखते हैं। हाई स्कूल बैंगरा में लगातार 36 साल तक सरकारी नौकरी में रहते हुए शिक्षक संघ के कई महत्वपूर्ण पदों पर अब तक काम कर रहे श्री ठाकुर कहते हैं कि पहले चुनावों के समय नेताओं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं के प्रति लोगों में असीम आदर था। तब राजनीति का मकसद केवल जन सेवा थी। आज की राजनीति पर जातिवाद हावी है। जाति के आधार पर ही राजनीति की दिशा और दशा तय होती है। अब तो मिलन-बिछुडन, दांव-पेंच, घात-प्रतिघात और दावे-प्रतिदावे के दिन आ गए हैं। अब की राजनीति में सिद्धांत, नीति, विचार और निष्ठाओं का सरेआम चीरहरण हो रहा है। अब वे दिन लद गए जब चुनाव आत्मपरीक्षण और कामकाज के विश्लेषण का पर्याय हुआ करता था। अब राजनीति चुनाव सत्ता की सुविधा के भोग में भागीदारी देने और लेने के उपकरण में बदल गया है। पहले राजनीति में सुविधाओं-साधनों के बगैर चुनाव प्रचार का काम होता था। पोस्टर-बैनर की कोई बात नहीं थी। पगडंडी और खेतों की मेड से गुजर कर नेता-कार्यकर्ता गांव-टोले में पहुंचते थे। अब तो बिहार जैसे गरीब राज्य का चुनाव भी पैसो के दम पर लडा जाता है। भले ही बहुत से लोगों ने अभी भी बिजली व सडक नहीं देखी हो। भले ही इस धरती पर बहुत से बच्चों ने स्कूल के मुंह नहीं देखे हों पर अब होने वाले हर चुनाव में बिहार के जन-जन को हेलिकाॅप्टर देखने का अवसर मिल ही जाता है। नेता धरती पर विकास का क-ख-ग न लिख पाए हों, पर आसमान में विकास का इतिहास लिखने के दावे करते हैं।