करोड़ों के फर्जी स्टाम्प पेपर मामले में 23 साल बाद हुई गिरफ्तारी
देवरिया, ब्यूरो (ओपी श्रीवास्तव) उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में करीब दो दशक पूर्व लगभग 50 लाख रुपए के फर्जी स्टांम्प पेपर के मामले में सोमवार को एक आरोपी को वाराणसी जिले से आई आर्थिक अपराध शाखा की टीम ने घटना के तेईस साल बाद गिरफ्तार कर लिया। इस संबंध में जानकारी देते हुए थाना कोतवाली प्रभारी राहुल सिंह ने मंगलवार को बताया कि वर्ष 1999 एवं 2001 के मध्य देवरिया जिले सहित पड़ोसी अन्य जिलों में फर्जी स्टांप पेपर बिक्री किए जाने का मामला प्रकाश में आया था।
इस संबंध में तत्कालीन मंडलायुक्त के निर्देश पर कोतवाली थाने में 12 दिसम्बर 2003 को गिरफ्तार शुदा व्यक्ति सहित नौ व्यक्तियों के खिलाफ धारा 120 भी, 419, 420, 467, 468, 471, आईं पी सी पंजीकृत हुआ था। बाद में यह जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा को स्थानांतरित कर दी गई। श्री सिंह ने बताया कि जांच के दौरान यह ज्ञात हुआ कि तथाकथित स्टाम्प पेपर देवरिया कोषागार से जारी ही नहीं हुआ था बल्कि आरोपित व्यक्ति हरिशंकर प्रसाद पुत्र बृजलाल निवासी लार कस्बा जनपद देवरिया तथा आठ अन्य आरोपियों ने यह जानते हुए भी कि स्टांप पेपर फर्जी हैं। उनका सरकारी विभागों में ग़ैर क़ानूनी तरीके से प्रयोग कर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा दिया था।
कोतवाल श्री सिंह के अनुसार गिरफ्तार किया गया व्यक्ति उक्त मुकदमे में वांछित अपराधी है तथा गिरफ्तारी से बचने के लिए देवरिया जिले के कोतवाली थाना अंतर्गत गरूलपार मोहल्ले में अपनी पहचान छिपाकर चोरी छिपे रह रहा था। उन्होंने बताया कि आर्थिक अपराध शाखा वाराणसी की टीम ने सोमवार को आरोपित हरिशंकर को गिरफ्तार कर अपने साथ वाराणसी लेती गई। प्रकरण के संबंध में विभागीय सूत्रों का कहना है कि देवरिया जिले के कोषागार में काम करने वाले तत्कालीन एक कर्मचारी का नाम भी इस प्रकरण में शामिल था।
उसने ही कई करोड़ के फर्जी स्टांप पेपरों को बिहार से मंगवा कर विधि विरुद्ध तरीके से आस पास के जिलों में रजिस्ट्री बैनामा एवं ठेकेदारों के माध्यम से सरकारी विभागों में खपाया था। सूत्रों का यह भी कहना है कि कोषागार विभाग का उक्त व्यक्ति इस समय कुशीनगर जनपद में तैनात है। आरोप है कि इस व्यक्ति के ऊपर भी कानून का शिकंजा कसा था लेकिन इसने अपनी ऊंची पहुंच और जोड़-तोड़ के माध्यम से अपने को इस स्टांप घोटाले से बाइज्जत बरी करवा लिया है और अपनी पत्नी को नगरपालिका परिषद देवरिया के अध्यक्ष का चुनाव लड़वाने का भी काम करता है। बताते हैं इस व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्तियों के नाम से शराब की कई दुकानें भी संचालित की जाती है।