बेटे का दहेजरहित निकाह करवाकर पेश की अनूठी मिसाल
मऊ (सईदुज्जफर) समाज में फैली बुराईयों को रोकना है तो उसकी शुरुआत पहले स्वयं से करनी होगी, ये बातें मौलाना मोहम्मद मज़हर आज़मी ने अपने पुत्र का दहेज रहित विवाह कर अनूठी मिसाल पेश करते हुए कहीं। मऊ के मुहल्ला डोमनपुरा निवासी मौलाना मोहम्मद मज़हर आज़मी ने अपने पुत्र मसनून मज़हर का विवाह बिना दहेज के किया।
इन्होंने दहेज में दुल्हे के लिए एक जोड़ा कपड़ा तक भी लेने से मना कर दिया, यहां तक कि निकाह के समय रस्मों रिवाज के तहत दुल्हन की तरफ से दुल्हे के लिए एक सूटकेस लेकर लोग निकाह पढ़ाने जाते हैं जिसमें दूल्हे की ज़रूरत के कुछ सामान होते हैं। इस निकाह में ये सूटकेस लाने से भी वर पक्ष की तरफ से मना कर दिया गया था। निकाह पढ़ाने आने वाले लोगों ने खाली हाथ आकर निकाह पढ़ाया जिसकी हर तरफ प्रशंसा हो रही है। इस बारे में जब हमने दुल्हे के पिता मौलाना मोहम्मद मज़हर आज़मी से बात की तो उनका कहना था कि दहेज देना मजबूरी है, लेना नहीं।
क्योंकि वर पक्ष वाले दहेज की मांग तो नहीं करते लेकिन दहेज का इंतज़ार ज़रूर करते हैं जिसका प्रमाण यह है कि लोग अपने रूम व घरों का डेकोरेशन पूरी तरह कर लेते हैं लेकिन कमरे में बेड, सोफा, फ्रीज, एसी आदि की जगह खाली इसलिए छोड़ देते हैं कि उन्हें दहेज का इंतजार होता है और ये उम्मीद लगाए रहते हैं कि ये सब तो लड़की की तरफ से मिलेगा ही। जिससे मजबूर होकर लड़कियों को दहेज लेकर जाना पड़ता है। अगर वर पक्ष के लोग चाहें तो दहेज लेने से मना कर सकते हैं जिससे किसी गरीब बाप को अपनी बेटी के विवाह के लिए कर्ज की ज़रूरत ना पड़े।
आगे उन्होंने कहा कि इसके पहले भी इन्होंने अपने एक लड़के मामून मज़हर की शादी ऐसे ही बिना दहेज के की है। दहेज में कुछ भी लाने से मना कर दिया गया था, रिश्ता तय होने पर ये बात वधू पक्ष से बोल दी गई थी कि विवाह बाद सिर्फ दुल्हन आएगी कोई सामान नहीं। समाज में दहेज प्रथा खत्म करने के लिए शुरूआत सबसे पहले अपने से करनी होगी उसके बाद ही किसी बुराई को समाज से खत्म किया जा सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि दहेज लेना बंद कर दीजिए तो किसी बाप को अपनी बेटी के लिए दहेज देना मजबूरी नहीं होगी। और समाज से दहेज प्रथा भी खत्म होगी।