रिश्वत नही मिली तो दरोगा ने किया एकतरफा कार्यवाही, एसपी से शिकायत
बनकटी, बस्ती (बीपी लहरी) । लालगंज थाना क्षेत्र के ग्राम धौरूखोर में दो पक्षों के बीच नाली, जमीन, मकान व रास्ते का बिवाद बढ़ता जा रहा है। इस मामले में पुलिस के पक्षपात पूर्ण रवैये से आजिज होकर एक पक्ष ने पुलिस अधीक्षक के अलावा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा कैबिनेट सचिव भारत सरकार को पत्र 15 जनवरी 2024 को भेजकर शिकायत किया है।
शिकायती पत्र में पक्षकार राम उजागिर (सेवानिवृत प्रवक्ता) ने लिखा है कि मेरे पट्टीदार इं. हीरालाल यादव के शिकायत पर हमें और हमारे परिजन अखिलेश कुमार को 13 जनवरी 2024 को थाने पर बुलवाकर उपनिरीक्षक अवनीश कुमार सिंह ने बर्बरता पूर्वक बन्द कर दिया। जब कि विरोधी हीरालाल यादव को घर भेज कर विवादित कार्य को पूर्ण कराने की सहमति दे दी। कार्य कराते देख शिकायतकर्ता के घर के अन्य परिजनों ने 112 पर फोन कर कार्य तो रोकवा दिया। लेकिन अवनीश सिंह ने मनमानी का परिचय देते हुए हम दोनों का 151 में एक पक्षीय चालान कर जेल भेजवा दिया।
जबकि इसके पहले उपनिरीक्षक ने बिवाद का समाधान कराने का आश्वासन देकर शिकायतकर्ता से सुविधा शुल्क के नाम पर एक ट्राली मोरंग लगभग दस हजार का थाने पर मंगवाया था। इसके बाद उपनिरीक्षक ने पच्चीस हजार रूपए की और मांग किया। इसके लिए प्रार्थी ने अपनी मजबूरी जाहिर किया। खार खाए उपनिरीक्षक अवनीश सिंह ने शिकायतकर्ता के खिलाफ मनमानी करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा। यहां तक कि मानवाधिकार के आदेश तक का उपनिरीक्षक ने पालन नहीं किया। राम उजागिर पुत्र राम दुलारे ने पत्र में यह भी लिखा है कि उपनिरीक्षक द्वारा बेलगाम होकर किये गये बर्बरता पूर्ण एक पक्षीय कार्यवाही से वह बहुत आहत हैं।
इस मामले में पुलिस क्षेत्राधिकारी रुधौली ने कहा कि मेरे पूर्व अधिकारी द्वारा मामले में बयान आदि दर्ज कराया गया है जिसमें विस्तृत जानकारी कार्यालय आकर लिया जा सकता है। दुर्भाग्य पूर्ण यह है कि पुलिस प्रशासन ने मामले की जांच-पड़ताल किया अथवा नहीं कुछ स्पष्ट पता नहीं चल रहा है। लेकिन अक्सर देखा सुना जा रहा है कि जिस मामले में पुलिस को निजी हित दिखाई देता है उसमें जमीन नाली का विवाद समाधान कराती है। हित न दिखने पर अनेक तर्क कुतर्क कर मामले से अपना पल्ला झाड़ लेती है।
यह भी चर्चा है कि आरोपी पुलिस कर्मी के विरुद्ध आम नागरिक की शिकायत पर जब थाने में मुकदमा दर्ज होना सम्भव नहीं है तो कमाऊ पूतों के विरुद्ध जांच में वे दोषी कहां मानें जा सकते हैं ?. दबी जुबान से यह भी चर्चा है कि महादेवा कस्बे में जब से पुलिस चौकी का प्रभार अवनीश सिंह को मिला है तभी से कस्बे व क्षेत्र में अराजकता सिर चढ़कर बोल रही है। सवाल उठता है कि संसदीय चुनावों का बिगुल बजने के बाद क्या पुलिस विभाग के हुक्मरान महादेवा क्षेत्र से अराजकता समाप्त करने के साथ राम उजागिर के साथ हुये अन्याय पर गुनहगारों के विरुद्ध कार्यवाही कर पायेंगे ?.अथवा धृतराष्ट्र रूपी मोह में पड़कर मामले के गुनहगारों का हौसला-अफजाई करेंगे ?.यह अभी भविष्य के गर्भ में है।