• Subscribe Us

logo
29 अप्रैल 2024
29 अप्रैल 2024

विज्ञापन
मीडिया दस्तक में आप का स्वागत है।
Uttar pradesh

42782 टीबी मरीज हुए स्वस्थ, सरकारी तंत्र में जांच और इलाज की सभी सुविधाएं

Posted on: Sat, 23, Mar 2024 9:12 AM (IST)
42782 टीबी मरीज हुए स्वस्थ, सरकारी तंत्र में जांच और इलाज की सभी सुविधाएं

गोरखपुर, 22 माच। ‘‘हां, हम टीबी का अंत कर सकते हैं’’ थीम के साथ इस बार 24 मार्च की बजाय 28 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाएगा। आदर्श आचार संहिता को देखते हुए इसका आयोजन सादगी के साथ होगा। प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को यह दिवस मनाया जाता है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने दी। उन्होंने बताया कि टीबी की समय से पहचान हो जाने और इलाज करवाने से यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है।

पिछले पांच वर्षों में जिले में 42782 टीबी मरीज ठीक हो चुके हैं। सरकारी तंत्र में टीबी की जांच और इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि महिलाओं, एचआईवी पीड़ितों, मधुमेह के रोगियों, मलिन बस्तियों, धूल मिट्टी में काम करने वालों, कुपोषित बच्चों, धुम्रपान करने वालों और वायु प्रदूषण वाले वातावरण में लगातार रहने वाले लोगों पर टीबी का जोखिम कहीं अधिक है। दो सप्ताह से अधिक की खांसी, लगातार सीने में दर्द, रात में पसीने के साथ बुखार, बलगम में खून आना, भूख न लगना और तेजी से वजन घटना फेफड़े की टीबी के लक्षण हैं।

सिर्फ फेफड़े की टीबी संक्रामक होती है, लेकिन अगर समय से जांच कर उपचार शुरू कर दिया जाए तो तीन सप्ताह बाद इससे भी संक्रमण का खतरा टल जाता है। जिले में जांच, इलाज और पोषण की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं और आशा कार्यकर्ता की मदद से इन सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। डॉ दूबे ने बताया कि टीबी के इलाज के दौरान कुछ लोग बीच में ही दवा छोड़ देते हैं जिससे वह ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के मरीज बन जाते हैं और ऐसे मरीजों के इलाज के दौरान जटिलताएं बढ़ जाती हैं।

दवा और उपचार तब तक जारी रखना है जब तक चिकित्सक द्वारा उसे बंद न किया जाए। मरीज के ठीक होने में पोषण की अहम भूमिका होती है, इसीलिए निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज चलने तक पांच सौ रुपये प्रति माह की दर से दिये जाते हैं। टीबी मरीज को इलाज के दौरान दूध, अंडा, सोयाबीन, पनीर, मांस आदि प्रोटीनयुक्त भोजन का सेवन करना है। इससे जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। जिन मरीजों की आर्थिक स्थिति कमजोर है उन्हें संभ्रांत लोगों और संस्थाओं द्वारा एडॉप्ट भी कराया जा रहा है ताकि अच्छे खानपान के साथ साथ मानसिक तौर पर खुद को मजबूत रखने में उनकी मदद की जा सके।

इन स्थानों पर होती है जांच

सीएमओ ने बताया कि जिले में 24 टीबी यूनिट, 49 डीएमसी और 485 आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर टीबी की माइक्रोस्कोपिक जांच की सुविधा उपलब्ध है। जिला अस्पताल, एम्स गोरखपुर, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, सहजनवां, खोराबार, पिपराईच, गगहा, भटहट, बांसगांव और कैम्पयरगंज में ट्रूनॉट मशीन के जरिये जांच की जाती है। जिला क्षय रोग केंद्र, बीआरडी मेडिकल कॉलेज और बड़हलगंज सीएचसी पर अत्याधुनिक सीबीनॉट जांच की भी सुविधा उपलब्ध है। जिले के सभी टीबी यूनिट और इलाज से जुड़े प्राइवेट अस्पतालों पर भी निक्षय पोषण योजना के लिए पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध है।

नियमित टीकाकरण जरूरी

बच्चों को टीबी जैसी बीमारियों से बचाने में रोग प्रतिरोधक क्षमता की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसी उद्देश्य से नियमित टीकारण कार्यक्रम के दौरान सरकारी प्रावधानों के तहत उन्हें बीसीजी का टीका लगाया जाता है। बच्चों में भी अगर समय से टीबी की पहचान हो जाती है तो इलाज के बाद वह ठीक हो जाते हैं। पिछले पांच वर्षों में टीबी ग्रसित 2524 बच्चे इस बीमारी से मुक्त हुए हैं।

सरकारी अस्पताल से ठीक हुए

पिपराईच कस्बे में 36 वर्षीय व्यापारी टेकचंद (बदला हुआ नाम) टीबी से मुक्त हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनका वजन तेजी से घट रहा था और रात में पसीने के साथ बुखार आता था। एक पारिवारिक मित्र की सलाह पर उन्होंने निजी अस्पताल में टीबी की जांच कराई थी। उन्हें ड्रग सेसिंटिव टीबी थी। अपने चिकित्सक की सहमति से उन्होंने जिला क्षय रोग केंद्र से सम्पर्क किया। इसके बाद उनकी सारी दवाएं सरकारी प्रावधानों के अनुसार शुरू कर दी गयीं। उन्हें पिपराईच सीएचसी से दवा मिलती थी। छह महीने के इलाज के बाद वह स्वस्थ हो गये। उनके पूरे परिवार की टीबी स्क्रिनिंग कराई गयी, जिसमें बाकी सदस्य संक्रमण से मुक्त मिले।




ब्रेकिंग न्यूज
UTTAR PRADESH - Lucknow: लखनऊ के चिनहट में नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म