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नुक्कड़ नाटकों के जरिये दे रहे फाइलेरिया की दवा खाने का संदेश

Posted on: Tue, 08, Aug 2023 1:59 PM (IST)
नुक्कड़ नाटकों के जरिये दे रहे फाइलेरिया की दवा खाने का संदेश

गोरखपुर, 07 अगस्त। लखनऊ से आई विविध सेवा संस्थान की टीम ने दिन में खोराबार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के रविवारीय स्वास्थ्य मेले में और शाम को नौकायन केंद्र और गोरखनाथ मंदिर में नुक्कड़ नाटकों की प्रस्तुतियां दीं। इन नुक्कड़ नाटकों के जरिये फाइलेरिया की गंभीरता बता कर दस से 28 अगस्त तक स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही दवा खाने का संदेश दिया गया।

जिले के स्वास्थ्य महकमे ने स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से यह आयोजन कराया। नुक्कड़ नाटक के बाद लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा सेवन की शपथ भी दिलाई गई। खोराबार पीएचसी के स्वास्थ्य मेले में वहां के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश कुमार ने नुक्कड़ नाटक का उद्घाटन किया और अपने सहयोगियों के साथ नाटक देखा। उन्होंने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे, नोडल अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा और जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह के दिशा निर्देशन में यह आयोजन करवाया गया।

फाइलेरिया एक ऐसी लाइलाज बीमारी है जिसे हाथीपांव के नाम से भी जानते हैं। यह गंदगी में पनपने वाले फाइलेरिया संक्रमित क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होता है। इससे बचाव के लिए साल में एक बार पांच साल तक लगातार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन अनिवार्य है। साथ ही संक्रमित मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग और घर के आसपास सफाई का रखा जाना जरूरी है। यह सभी संदेश नाटक के जरिये दिये गये। आयोजन में बीसीपीएम विकास ने विशेष सहयोग किया।

नौकायन केंद्र पर हुए आयोजन में एसीएमओ आरसीएच डॉ एके चौधरी बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। उन्होंने गोरखपुर के जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद और देवरिया के जिला कार्यक्रम प्रबन्धक पूनम के साथ नाटक भी देखा। एसीएमओ आरसीएच ने बताया कि 10 से 28 अगस्त तक के अभियान में दवा का सेवन आशा कार्यकर्ता के सामने ही करना है। अगर उस समय घर पर उपलब्ध नहीं हैं तो आशा कार्यकर्ता के घर जाकर दवा उनके सामने ही खाएं। दो वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक व्यक्ति को इस दवा का सेवन करना है। सिर्फ गर्भवती और अति गंभीर बीमार लोग दवा का सेवन नहीं करेंगे।

बीपी, शुगर, थायरॉयड जैसी बीमारियों में भी दवा का सेवन करना है। इस बार एक से दो वर्ष के बच्चों को इसी अभियान के दौरान पेट के कीड़े मारने की दवा खिलाई जाएगी। मलेरिया इंस्पेक्टर प्रवीण पांडेय ने बताया कि सामान्यतः फाइलेरिया में कोई लक्षण दिखाई नहीं हेते हैं । बुखार, हाथ व पैर में दर्द या सूजन, पुरूषों के जननांग व उसके आसपास दर्द या सूजन और अंडकोष का सूजन ही इसके सामान्य लक्षण हैं। प्रत्येक गुरूवार की रात में असुरन स्थित लालकोठी में फाइलेरिया की जांच की जाती है। नौकायन केंद्र पर हुए आयोजन में फाइलेरिया इंस्पेक्टर अंजनी कुमार मिश्रा और अभय वर्मा ने विशेष सहयोग दिया।

आस्था के साथ सेहत का ज्ञान

गोरखनाथ मंदिर में देर शाम को नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति की गयी जिसका शुभारंभ भी एसीएमओ आरसीएच ने किया। नाटक के जरिये इस संदेश पर जोर दिया गया कि फाइलेरिया की दवा परजीवियो को मार देती है। मरते हुए परजीवियो के प्रतिक्रिया स्वरूप सरदर्द, शरीर में दर्द, बुखार, उल्टी और बदन में चकत्ते जैसी मामूली प्रतिक्रियाएं भी दिखती हैं। ऐसे लक्षण जिनमें नजर आ रहे हैं उन्हें घबराना नहीं चाहिए, बल्कि खुश होना चाहिए कि वह फाइलेरिया के संक्रमण से बच गये। ऐसे लक्षण आमतौर पर स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं। इस मौके पर फाइलेरिया इंस्पेक्टर अभिषेक कुमार मिश्रा और आशीष कुमार सिंह ने विशेष सहयोग किया।




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