भागवत् कथा के स्मरण से होता है पापों का नाश-शांतनु
गाजीपुर व्यूरो (विकास राय) बलियां जनपद के रसडा तहसील मुख्यालय से सटे बरबोझ में आयोजित कथा में अपने मुखारविंद से मानस मंदाकिनी प्रवाहित करते हुवे मानस मर्मज्ञ आचार्य शांतनु जी महाराज ने कहा की पुराणों में जहां रामचरित मानस की पंक्तियां महामंत्र हैं। वहीं श्रीमद्भागवत केवल ग्रंथ ही नहीं वल्कि वह पथ प्रदर्शक और जीवन में लौकिकता प्रदान करनें वाला है।
आपने कहां की श्रीकृष्ण की लीलाओं व भागवत् कथा के स्मरण मात्र से ही समस्त पाप समूल नष्ट हो जाते है।वहीं जीवन में किये गये कार्यों का पुण्य फल प्राप्त होता है। मानव केवल भगवान का स्मरण करता रहे तो जीवन आनंदमयी होकर कई पीढियों के आने वाले संकट को टाल सकता है। कलियुग का मानव लोभ लालच व तृष्णा से भरकर एक दूसरे की बुराई व जीव हत्या कर रहा है जो मानव को विनाश की तरफ ले जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण कहते है की जब जब धर्म की हानि होती है तब धरती पर भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित होकर अधर्मियों से प्राणी की रक्षा करते है तो प्राणी तु भी भगवान का स्मरण कर।
शांतनु जी महाराज ने समझाते हुवे कहा की भगवत भक्ति करने वाले से भगवान प्रशन्न होते है पर अभिमानी पुरूष को कुछ भी नहीं मिलता है। आज कल तो पढे लिखे लोग भी भगवान पर बहस करने लगे है पर कम पढे लिखे लोग पत्थर को भगवान मान कर पूजते है व अपने जीवन में लौकिकता भर लेते है। कथा आयोजन मंडल के प्रमुख व राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह ने जीवन में श्रीराम कथा के महत्व की चर्चा की और कहा की नयी पीढी को जीवन में श्रीमद्भागवत को आत्मसात करना चाहिए। प्रो के एन सिंह ने सपत्नीक महाआरती कर लोक मंगल की कामना की। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।