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ज़मीनी रंजिश का अखाड़ा बन रहा देवरिया जिला, अधिकारियों की लापरवाही जान पर आफत

Posted on: Wed, 04, Oct 2023 9:52 PM (IST)
ज़मीनी रंजिश का अखाड़ा बन रहा देवरिया जिला, अधिकारियों की लापरवाही जान पर आफत

देवरिया, 4 अक्टूबर (ब्यूरो ओपी श्रीवास्तव)। जिले में सोमवार को जमीनी विवाद को लेकर हुये खुनी संघर्ष में 6 लोगों की हत्या किये जाने के मामले में प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही व कर्तव्य के प्रति उदासीनता तथा दबंग किस्म के लोगों के साथ राजस्व एवं पुलिस विभाग की मिलीभगत सामने आ रही है। लोगों का आक्रोश भरे लहजे में शिकायत है कि यदि जिम्मेदार अधिकारियों ने शिकायती प्रार्थना पत्रों पर ध्यान दिया होता तो ये नरसंहार नही होता।

मामले में देवरिया सदर विधानसभा के भारतीय जनता पार्टी के विधायक शलभ मणि त्रिपाठी के उस वक्तव्य से भी भारी बल मिलता है जिसमें उन्होंने मंगलवार को फेसबुक और व्हाट्सएप पर अपनी जमकर नाराजगी व्यक्त की तथा स्पष्ट रूप से जिला प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अपनी कार्यशैली में सुधार करें वरना आप लोगों के खिलाफ बहुत बड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए आप तैयार रहिए। विधायक सरलामणि ने यह भी चेतावनी दी की देवरिया में भू माफियाओं तथा अपराधियों का आतंक व्याप्त हो गया है और इसे हर हाल में समाप्त करना है। विधायक का यह वक्तव्य सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।

उल्लेखनीय की जिस दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिवस को बड़े उल्लास के साथ मनाने के लिए जिला प्रशासन कटिबद्ध था कि उसी दिन सुबह करीब 6ः00 बजे से लेकर 8ः00 बजे के बीच दिल दहला देने वाली घटना रुद्रपुर के फतेहपुर में घटित हो गई। लोगों ने इस मामले में प्रश्न करना शुरू कर दिया है कि पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव की हत्या यदि ब्राह्मण परिवार के सत्य प्रकाश दुबे तथा उनकी पुत्रियों तथा पुत्रों ने किया होता तो वह हत्या करने के बाद वहां से फरार हो गया होता।

लेकिन ब्राह्मण परिवार अपने घर पर ही मौजूद रहा। इसमें कहीं ना कहीं प्रेमचंद की हत्या में कुछ बाहरी लोगों के भी शामिल होने की दुर्गंध आ रही है। जिन्होंने जघन्य तरीके से ईटो से सिर कूच कर प्रेमचंद यादव की हत्या कर दी तथा मौके से फरार हो गए। बेचारे सत्य प्रकाश दुबे और उनके परिवार के सदस्य भीड़ के आक्रोश का शिकार होकर असमय ही मौत के गाल में समा गए। दूसरी तरफ प्रेमचंद यादव की हत्या के मामले में उनके भाई अनिरुद्ध यादव के द्वारा ब्राह्मण परिवार के मारे गए सभी पांच लोगों को आरोपी बना देना कहीं ना कहीं इस बात का संकेत है कि मामले में पुलिस अपने छवि को साफ सुथरा दिखाने में इस कदर तल्लीन हो गई है कि उसे इस बात का भी जरा सा आभास नहीं है कि मरे हुए लोगों के खिलाफ किसी प्रकार का न तो मुकदमा, अभियोग चलाया जा सकता है और न ही उन्हे सज़ा दी जा सकती है।

इस मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि किसी बड़े अधिकारी या राजनेता के दबाव में आकर सत्य प्रकाश दुबे की तरफ से तीस नामजद एवं पचास अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। दूसरी तरफ चर्चा है कि जिला प्रशासन आला अधिकारियों को और सत्ता पक्ष के नेताओं को संतुष्ट करने के लिए मृतक पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव के मकान को बुलडोजर से धराशाई करने की फिराक में है। जिस मकान को सरकारी खलिहान की भूमि में निर्मित होने की बात कही जा रही है। यहां यह कहना उचित प्रतीत होता है कि स्व० प्रेमचंद यादव ने करीब 15 वर्ष पूर्व अपने इस मकान का निर्माण कराया था तो क्या 15 वर्ष तक जिला प्रशासन और राजस्व विभाग की टीम ने इस बात को क्यों छुपाए रखा।

इस प्रकार स्पष्ट है कि राजस्व विभाग की टीम ने सरकार की आंखों में धूल झोंक रखा था तथा राजस्व विभाग की टीम और जिला प्रशासन इस बात का इंतजार कर रही थी कि जब तक कोई बड़ी घटना नहीं हो जाएगी तब तक किसी भी जमीन या मकान का पैमाइश नहीं होगा। यानि मरने के बाद ही न्याय मिलेगा। जीते जी शिकायती प्रार्थना पत्र किसी प्रकार की कारवाई नहीं होगी। कुछ लोगों का यह भी कहना है की रातों-रात किस अधिकारी ने आदेश दिया कि मौके पर जाकर मृतक प्रेमचंद यादव की मकान और जमीन की पैमाइश की गई। दिलचस यह है कि रुद्रपुर तहसीलदार केशव ने बताया कि नायब तहसीलदार के द्वारा पैमाइश की जा रही है और अभी तक रिपोर्ट नहीं प्राप्त हुई है।

लेकिन जब नायब तहसीलदार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि रिपोर्ट दे दी गई है। यह पूछने पर की क्या रिपोर्ट है नायब तहसीलदार एक तरह से नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि हम आपको रिपोर्ट नहीं बता सकते हैं और यह कहते हुए उन्होंने मोबाइल फोन डिस्कनेक्ट कर दिया। दूसरी तरफ जिला प्रशासन द्वारा इतना बड़ा हत्याकांड हो जाने के बाद भी किसी प्रकार की प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से घटना के बाबत किसी तरह की कोई जानकारी मीडिया को नहीं दिए जाने एवं मीडिया से बचने की कोशिश की जा रही है।

यहां तक कि अधिकारी मीडिया के लोगों के द्वारा किए जा रहे मोबाइल फोन को उठाने में भी कोताही बरत रहे हैं। लोगों का कहना है कि देवरिया जिले में इस तरह के भूमि तथा मकान संबंधी हजारों मामले हैं यदि जिला प्रशासन तथा लखनऊ में बैठे उच्च अधिकारियों ने इस तरह के प्रकरण के निस्तारण में तेजी नहीं दिखाई दी तो आने वाले दिनों में देवरिया हत्याओं के मामले में देशभर के आंकड़ों को पीछे छोड़ देगा। क्योंकि जमीन संबंधी इसी तरह के एक अन्य मामले में कोतवाली थाने के मेहरा पूर्वा में बसपा के पूर्व विधान विधान सभा प्रत्याशी राजाराम चौहान तथा राम आशीष यादव के बीच इसी बीते रविवार को जबरदस्त गैगवार हुआ।

इस मामले में एक चार पहिया वाहन तथा दो पहिया मोटरसाइकिलों को तोड़फोड़ कर उसमें आग लगा दी गई। करीब एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए और यह सारी घटनाएं पुलिस की मौजूदगी में हुई। इस मामले में दुखद पहलू यह रहा कि राजाराम चौहान के दामाद जो बाबा राघव दास महाविद्यालय देवरिया में कर्मचारी थे घटना में घायल हो गए थे उनकी दुखद मृत्यु मंगलवार को लखनऊ में हो गई। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बैठे उच्च अधिकारियों तथा सत्ता के जिम्मेदार राजनेताओं को यदि देवरिया जिले को सुरक्षित एवं यहां के नागरिकों को संरक्षित रखना है तो लापरवाह अधिकारियों तथा कर्मचारियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें निलम्बित या स्थानांतरित न करके उन्हे सेवा से मुक्त करना होगा।




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