खुले आसमान में पढ़ने को मजबूर हैं छात्र छात्रायें
देहरादूनः सरकार की शिक्षा नीति को उत्तराखण्ड में शिक्षा व्यवस्था मुंह चिढ़ाता दिख रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिये खासकर पहाडी क्षेत्रो में कई योजनाये बनाई जा रही है, लेकिन इसका जमीनी स्तर पर प्रभाव नजर नहीं आ रहा। सरकारी स्कूलों की हालत बदतर है। छात्र-छात्रायें क्षतिग्रस्त भवनों के साथ टाट-पट्टी पर बैठ कर पढाई करने को मजबूर है। वो भी उत्तराखण्ड की राजधानी से कुछ ही दूरी पर स्थित राजकीय इंटरमीडिएट कालेज बूसाखण्ड में। राजकीय इंटरमीडिएट कालेज बूसाखण्ड में कमरे तो कई दिखाई देंगे। लेकिन उनमें तो कुछ पर छत नहीं है वहीं कुछ पर न छत और न दिवाल है। सुधार के लिए मंगाई गयी कुछ सामग्री छतिग्रस्त होने के कगार पर आ गई। स्कूल में काम काम कई दिनों से नहीं हो रहा। वहीं काम न होने से और जर्जर कमरे टाट-पट्टी पर बैठकर 250 छात्र-छात्रायें को पढ़ने को विवश करते है।
जब कालेज के हालात पर शिक्षक व प्रधानाचार्य से पूछा पूछा गया तो वो इस संबध में बोलने को तैयार नही हुये। कालेज के पास गंदगी का ढेर देखा जा सकता है, जो गंभीर बीमारियों का सबब बन सकती है। लेकिन ना तो स्कूल प्रशासन को और ना ही संबधित विभाग को इससे कुछ लेना देना है। जिस कारण विद्यालय की दशा दिन ब दिन खराब होती जा रही है। शौचालयों की हालत भी खस्ता है। लेकिन इन सभी समस्याओं के बावजूद भी कोई ध्यान नहीं दे रहा। जिसका सामना छात्र मजबूरीवश कर रहे है। जो कभी भी बड़ी घटना का कारण बन सकता है।