पूर्व विधायक के खाते से एसडीएम ने निकलवाये 6.5 लाख
रायबरेली ब्यूरोः (आकाश अग्निहोत्री) एक राष्ट्रीयकृत बैंक ने एसडीएम के निर्देश पर पूर्व विधायक के खाते से साढ़े छह लाख रुपये तहसलीदार के पदनाम कर दिए। जानकारी पर उपभोक्ता आक्रोशित है, आरोप लगाया कि न चेक और न ही विदड्राल और कोई नोटिस भी नहीं। फिर कैसे एकाउंट से पैसा निकाला गया?
उन्होंने इसे तहसील प्रशासन द्वारा शाखा प्रबंधक पर दबाव बनाकर मनमानी का आरोप लगाया। कहा, पैसा न मिलने पर वह सार्वजनिक आत्मदाह करेंगे। पूर्व विधायक सरेनी सुरेंद्र बहादुर सिंह का आरोप है कि आठ अगस्त को उप जिलाधिकारी जीतलाल सैनी ने उनके बैंक खाते से तहसीलदार पद नाम से 667700 रूपये का बैंकर्स चेक बिना उनकी अनुमति व बिना जानकारी के शाखा प्रबंधक पर दबाव बनाकर जारी करा लिया। उन्होंने लगभग 25 साल पहले लालगंज-फतेहपुर मुख्यमार्ग पर स्थित गेंगासो गंगापुल के पथकर वसूली का टेंडर डाला था। सर्वाधिक बोली लगाने के बाद भी ठेका नहीं लिया था।
जिस पर उनकी एक लाख रूपये की जमानत राशि जब्त कर ली गई थी। इसके बाद भी उक्त ठेके के पंजीकरण में लगने वाले स्टांप शुल्क के नाम पर उक्त धनराशि की वसूली अब की गई है। लेकिन न तो उन्हें कोई नोटिस दी गई और न सूचना। आरोप है कि विधिक तरीकों को दरकिनार कर मनमाने तरीके से उनके खाते से धन की वसूली की गई है। यदि धनराशि वापस बैंक खाते में न डाली गई तो वह एसडीएम कार्यालय के सामने आत्मदाह के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने इस मामले की न्यायिक जांच कराए जाने की बात भी कही है।
एसडीएम बोले
उप जिलाधिकारी लालगंज जीतलाल सैनी ने बताया कि राजस्व वसूली में एक प्राविधान ये भी है कि बकाएदार का खाता सीज करते हुए उसका धन सीधे आहरित किया जा सके। इस प्रकरण में ऐसा ही हुआ है। पैसा तहसीलदार के पदनाम को ट्रांसफर किया गया है। उनसे सवाल हुआ कि चेक, ड्राफ्ट और विदड्राल के बिना यह कैसे संभव है। वो भी जब खातेदार हस्ताक्षर तक न करे। वे बोले- विशेष परिस्थितियों में ऐसे नियम हैं।
बैंक मैनेजर विजय शर्मा की सुनिये
बताया कि मुझे पूरे प्रकरण की जानकारी नहीं है। लेकिन कुछ ऐसे पावर हैं जब सरकारी बकायों को इस तरह वसूला जा सकता है। राजस्व वसूली के मामले में हो सकता है कि उक्त बैंक मैनेजर ने प्रशासन के पत्र के आधार पर कार्रवाई की हो।
दान में दे चुके हैं करोड़ों की धनराशि
मूलरूप से तेजगांव निवासी सुरेंद्र बहादुर सिंह सरेनी विधानसभा क्षेत्र के विधायक रह चुके हैं। उनके पिता स्व. रतनपाल सिंंह की पहचान गरीबों व असहायों की मददगार के रूप में आज भी है। बताया जाता है कि उन्होंने बनारस हिंंदू विश्वविद्यालय में वाणिज्य संकाय बनवाने के लिए करोड़ों रूपये दान दिए थे, जिसके चलते उन्हें दानवीर भी कहा जाता है। पूर्व विधायक सुरेंद्र बहादुर ने भी कानपुर व वाराणसी यूनीवर्सिटी में करोड़ों रूपये का दान दिया है।