दुख देकर परमात्मा अपनेपन का एहसास कराता है
गाजीपुर व्यूरो (विकास राय) प्रयाग राज में आयोजित कुंभ पर्व पर सेक्टर 14 में हरिश्चंद्र मार्ग पर स्थित श्री वेणीमाधव नगर शिविर में मानस मर्मज्ञ भागवतवेत्ता महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 श्री शिवराम दास जी फलाहारी बाबा ने अपने मुखारविंद से मानस रूपी गंगा गंगा प्रवाहित करते हुवे कहा की सुख में परमात्मा का जो स्मरण करता है तो परमात्मा उसे एहसास कराता है की जीव हमारा है। लेकिन जीवात्मा द्वारा परमात्मा को भूल जाने के बाद दुख देकर उसे अपना होने का एहसास कराता है।
आपने कहा की तीर्थ राज प्रयाग केवल गंगा यमुना सरस्वती का ही संगम नही वल्कि शैव वैष्णव आचारी वैरागी एवम उदासियों का मिलन है। अनेक सम्प्रदाय एवम मतो के लोग कुंभ में इंसानियत एवम मानवता का मत लेकर एक ही रास्ते पर चलते हुवे बताना चाहते है की सबका मूल सनातन सेवा ही है। तीर्थ राज प्रयाग में आये हुवे समस्त तीर्थ यात्री संतत्व को धारण करके भारतीय संस्कृति सभ्यता एवम सनातन धर्म का व्यापक और विस्तृत रूप प्रकट करते है।
पूज्य फलाहारी जी महाराज ने कहा की कुंभ में धर्मों के अनेकता में एकता का परिचय देते हुवे सन्त एवम गृहस्थ. स्त्री पुरूष अथवा किन्नर सभी एक घाट पर स्नान कर के विचारों की उत्कृष्टता का परिचय देते हुवे समस्त मानवता के एक रूपता का परिचय देते है। संगम घाट पर मानव के पूर्वज मनु और सतरूपा के जीवन्त कुल परम्परा के एक होने का साक्षात्कार होता है।कुंभ पर्व बिछुडने का नहीं अपार जनसमूह के विचारों के मिलन का पर्व है।अन्य जगह की निर्वल दुर्बल मानवता कुंभ में ही हृष्ट पुष्ट एवम बलिष्ठ होती हुई दिखाई देती है। तीर्थयात्रियों के आवास एवम भोजन की सेवा ही साधना बन जाती है।