मौके मिले तो काशी-मथुरा को भी मुक्त कराएंगे
अयोध्या (प्रभाकर चौरसिया) बाबरी विध्वंस केस की समाप्ति के बाद आरोपी बनाए गए लोग अब सवाल पूछ रहे हैं कि जिसने अपनी जिंदगी के कीमती समय राम मंदिर आंदोलन के लिए दिए, अपनी जान दे दी, उनको राम मंदिर निर्माण करवा रहे लोगों ने क्यों भुला दिया। कम से कम उनके सम्मान के लिए उनके नाम लिखें स्तूप ही बनवा देते या फिर लाइब्रेरी में उनके संघर्षों के इतिहास की किताबें ही रख दी जाती।
ऐसी कोई व्यवस्था तो कर दी जाती कि भविष्य में उन्हें युवा पीढ़ी याद रखती। उत्तर प्रदेश में शिवसेना के एकमात्र विधायक रह चुके पवन पांडे कहते हैं कि वे राम मंदिर के बाद अब मथुरा काशी को भी मुक्त कराएंगे। पवन पांडे ने कहा कि आज जो लोग मंदिर बनवा रहे हैं, जो लोग सत्ता में हैं, वह भी उनको स्मरण नहीं कर रहे हैं, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी। काशी, मथुरा पर उन्होंने कहा कि हमारी तो यह मंशा है कि दोनों हमको मिलना चाहिए. जन्मस्थान कभी बदल नहीं सकता।
काशी हमारी सबसे प्राचीन नगरी है और शंकर जी वहां वास करते हैं इसलिए वह भी हमारे लिए किसी जन्मभूमि से कम नहीं है। राम मंदिर आंदोलन में भाग ले चुके राम जी गुप्ता ने कहा कि जैसे जन्मभूमि के लिए हमारी लड़ाई बिल्कुल वैधानिक थी. कहीं से कोई अवैधानिक उसको नहीं कह सकता. यह पूरी दुनिया को हमारे मार्गदर्शक मंडल ने चैलेंज किया था. उसी प्रकार से काशी विश्वनाथ भी हमको मिलना चाहिए. जो हमारे साक्ष्य हैं, उसी प्रकार से कृष्ण जन्म भूमि भी हमें प्राप्त होना चाहिए, क्योंकि राम और कृष्ण इस देश की नस नस में हैं, इस देश के कण-कण में हैं।