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Uttar pradesh

क्या कानून बनाकर रामजन्मभूमि का निपटारा सम्भव है ?

Posted on: Wed, 05, Dec 2018 10:28 PM (IST)
क्या कानून बनाकर रामजन्मभूमि का निपटारा सम्भव है ?

अयोध्या (विनोद तिवारी) रामजन्मभूमि, बाबरी मस्जिद व बौद्व विहार एवं कानूनी मान्यता विषय पर हेलाल कमेटी के मौलाना मेहफूजुर्रहमान एवं खालिक अहमद खाँ ने एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इस अवसर पर प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि क्या कानून बनाकर रामजन्मभूमि का निपटारा सम्भव है ? शायद नहीं।

क्योंकि कानून बनाते समय उच्चतम न्यायालय में चल रही 14 अपीलों को रद्द करना पड़ेगा जो कि विधिक नहीं होगा। इसके अतिरिक्त बौद्वों की ओर से एक रिट पिटीशन भी लम्बित है जो उच्चतम न्यायालय के आदेश द्वारा इसी वर्ष मुख्य मुकदमे में संलग्न कर दिया गया है। रिट की सुनवाई विनीत कुमार मौर्य बनाम भारत सरकार के नाम से चल रही है। विदित हो कि भूमि अधिग्रहण कानून धारा 4 द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय लखनऊ बेंच लखनऊ में चल रहे मुकदमों पर रोक लग गई थी। बताते चलें कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश 24 अक्टूबर 1994 में स्पष्ट किया है कि अदालत द्वारा न्याय पाने का सबको समान अधिकार है इसे रोका नहीं जा सकता। उच्चतम न्यायालय ने धारा 4 को असंवैधानिक घोषित किया था। इसे रद्द किया था।

अयोध्या वाद में सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड निर्मोही अखाड़ा व रामलला विराजमान पक्षकार हैं। केन्द्रीय सरकार को अधिग्रहत क्षेत्र की यथास्थिति बनाये रखने का दायित्व है। वर्तमान व्यवस्था किसी कानून द्वारा निष्प्रभावी नहीं की जा सकती। मुसलमानों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह अपना दावा वापस लें परंतु निम्न बाधायें निहित हैं। बाबरी मस्जिद का मुकदमा सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड लड़ रहा है जो कि सरकारी संस्था है और मुसलमानों की तरफ से मुख्य दावेदार है।

शिया वक्फ बोर्ड का कोई दखल इस विषय में नहीं है क्योंकि 30 मार्च 1946 में ही सिविल जज फैजाबाद ने इनके दावे को खारिज कर दिया था। विदित हो 1950 में 19 अयोध्या के मुसलमानों ने फैजाबाद की अदालत में शपथ पत्र देकर मन्दिर बनाने की अनुमति दी थी परन्तु अदालत ने हिन्दू पक्ष को इसका लाभ नहीं दिया विवाद बना रहा। इस्लामी शरियत भी इस बात की इजाजत नहीं देती कि मस्जिद के स्थान पर मन्दिर निर्माण किया जाये। मस्जिद जमीन से आसमान तक मस्जिद ही रहती है।




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