गिरफ्तारी नहीं करने का ढ़ोंग रच रही थी सरकारः नजरे आलम
दरभंगाः (राजेश कुमार साहू) बिहार सरकार ने अरिजीत की गिरफ्तारी मामले में झूठ का लिया सहारा। ऐसा लगता है कि माननीय न्यायालय से जमानत याचिका स्वीकार होने तक गिरफ्तारी नहीं करने का सौदा हुआ था केन्द्र की भाजपा सरकार से बिहार सरकार का। यह सारी बातें ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नजरे आलम ने मीडिया से बात करते हुए कही।
श्री आलम ने आगे कहा पर्याप्त सबूत के आधार पर माननीय न्यायालय ने अरिजीत की जमानत याचिका को खारिज कर दिया और अरिजीत के पास सरेंडर के सिवा दूसरा कोई चारा नहीं बचा तो उसने नाटकीय ढंग से खुद को सरेंडर कर दिया। यही कारण है कि जब बिहार सरकार को लगा की सारा राज खुल रहा है और जनता सारा खेल समझ गई तो अपनी नाकामी को छुपाने और भाजपा के सामने नतमस्तक हो चुके मुख्यमंत्री महोदय की पुलिस ने उसे बङी कामयाबी बताते हुए अरिजीत शाश्वत के सरेंडर को गिरफ्तारी बता डाला। हालांकि अरिजीत शाश्वत के खिलाफ माननीय न्यायालय में पुख्ता सबूत होने का दावा प्रशासन लगातार कर रही है।
जनता की मानें तो बिल्कुल सही लगता है कि जो पुलिस शाश्वत की गिरफ्तारी का दावा कर रही है वह दो सप्ताह तक क्या कर रही थी और पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बगल में दंगा का आरोपी जुलूस का लाइव विडियो चला कर चैलेंज दे रहा था। उस वक्त उसकी गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई। भागलपुर दंगा के फौरन बाद सुशासन बाबू ने उसकी गिरफ्तारी क्यों नहीं कराई। निश्चित तौर पर अगर अरिजीत शाश्वत को सुशासन बाबू की पुलिस भागलपुर दंगा के बाद ही गिरफ्तार कर लेती तो पाँच और ज़िला जलने से बच जाता और बिहार में दंगाईयों के हौसले भी पस्त हो जाते।
श्री आलम ने साफ तौर पर कहा कि सुशासन की सारी पोल खुल चुकी है वह बिहार में दंगाईयों और भाजपाईयों के आगे नतमस्तक हो चुके हैं। इसलिए अब नीतीश जी को चाहिए कि अविलंब बिहार में राष्ट्रपति साशन लगा दें और भाजपा को बिहार से भगाने के लिए साल भर पीछे वाला नीतीश कुमार बनकर नया बिहार, अमन पसन्द बिहार और न्याय के साथ विकास वाला बिहार बनाने के लिए कुछ करें नहीं तो बिहार की अमन पसन्द जनता कभी इन्हें माफ नहीं करेगी।