प्रशासनिक भ्रष्टाचार में बिहार अव्वल
पटना (राजेश कुमार साहु) प्रशासनिक भ्रष्टाचार के मामले में बिहार देश के अव्वल राज्यों में शुमार हो चुका है। यह खुलासा दुनिया के तीन सबसे बड़े विश्वविद्यालयों यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के स्कॉलर गुओ जू, मैरिएन बंट्रेंड और रॉबिन बर्गीज के भारत की नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार पर किए गए शोध में हुआ है।
हालांकि, रिपोर्ट में दर्ज यह निष्कर्ष बिहार के संदर्भ में सही नहीं कि अपने गृहराज्य में पोस्टिंग पाने वाले नौकरशाह अन्य प्रदेशों में अपनी सेवाएं देने वाले नौकरशाह के मुकाबले अधिक भ्रष्ट होते हैं। कभी देश के अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक चुस्त-दुरुस्त प्रशासन वाले राज्यों में शुमार रहा बिहार अब अपनी नौकरशाही को लेकर बदनाम होने लगा है। करीब डेढ़ दशक पहले जब बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने सत्ता की बागडोर अपने हाथों में ली तो साफ एलान कर दिया कि अब भ्रष्टाचार के खिलाफ ’जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई जाएगी।
इस जीरो टॉलरेंस की नीति का प्रदेश में व्यापक असर भी दिखा। पिछले डेढ़ दशक से भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अभियान में अबतक 1700 से अधिक लोकसेवकों को न केवल घूसखोरी करते रंगे हाथों पकड़ा गया, बल्कि उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी। करीब डेढ़ दर्जन बड़े नौकरशाहों की करीब 20 करोड़ से भी अधिक की काली कमाई को सरकार ने जब्त कर लिया है।