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पद्मश्री से सम्मानित साहित्यकार मनु शर्मा का निधन

Posted on: Thu, 09, Nov 2017 9:37 AM (IST)
पद्मश्री से सम्मानित साहित्यकार मनु शर्मा का निधन

वाराणसीः (विकास राय) साहित्य जगत में ‘तोता-मैना’ कालम से पहचाने जाने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार मनु शर्मा की अब काशी की चाय की अड़ियों पर साहित्य को लेकर माथापच्ची, जीवन में सच के प्रतीक के रूप में ख्यातिलब्ध अब इतिहास बन गए है। अभी काशीवासी ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी के गम को भुला भी न पाये थे कि एक और साहित्यकार के निधन ने सबको झकझोर दिया। बुधवार की सुबह पद्मश्री से सम्मानित साहित्यकार मनु शर्मा के निधन की सूचना से पूरा साहित्य जगत शोक में डूब गया। वह पिछले कई महीनों से एक लंबी बीमारी से जूझ रहे थे। मालूम हो कि उन्हें प्रदेश सरकार ने यश भारती से सम्मानित किया था। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सफाई अभियान का नवरत्न भी चुना था। मनु शर्मा का जन्म 1928 में फैजाबाद जिले के अकबरपुर में हुआ था। वे बेहद अभावों में पले-बढ़े थे। घर चलाने के लिए फेरी लगाकर कपड़ा, मूंगफली बेचते थे। बनारस के डीएवी कॉलेज में उन्हें चपरासी की नौकरी मिली और पुस्तकालय में काम करने लगे।

गैलेक्सी में हुए थे भर्ती

साहित्यकार मनु शर्मा ने पिछले महीने शरद पूर्णिमा के दिन उन्होंने 90वां जन्मदिन मनाया था। उसी दिन उनकी तबियत खराब होने की वजह से महमूरगंज स्थित गैलेक्सी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। हालात में सुधार होने पर दो दिन बाद घर लाया गया था। उसके बाद से उन्होंने खाना छोड़ दिया था। भतीजे तुषार शर्मा ने बताया कि सुबह अचानक तबियत बिगड़ी। जब तक अस्पताल ले जाने का प्रबंध किया जाता, उन्होंने अपनी अंतिम सांस ले ली।

खेमेबंदी से कोसों दूर रहे मनु

प्रसिद्ध लेखक मनु शर्मा हिंदी की खेमेबंदी से दूर रहे। उन्होंने साहित्य की हर विधा में प्रख्यात लेख लिखे है। बेहद अभावों में पले-बढ़े मनु शर्मा ने कभी बनारस के डीएवी कॉलेज में अदेशपालक की नौकरी की। उनके गुरु रहे कृष्णदेव प्रसाद गौड़ उर्फ बेढब बनारसी ने उनसे पुस्तकालय में काम लिया। पुस्तकालय में ही उनमें पढ़ने की ऐसी रुचि जगी कि उन्होंने अपनी कलम से पौराणिक उपन्यासों को आधुनिक संदर्भ दिया है। मनु शर्मा ने बनारस से निकलने वाले एक हिन्दी दैनिक समाचार पत्र में प्रतिदिन एक कार्टून कविता लिखी। यह इतनी मारक होती थी कि आपात काल के दौरान इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। राजकुमार हिरानी ने मनु शर्मा की पुस्तक गांधी लौटे के विचार की चोरी कर इस पर एक फिल्म का निर्माण किया था। प्रख्यात साहित्यकार मनु शर्मा को गोरखपुर विश्वविद्यालय से डी.लीट. की मानद उपाधि, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के लोहिया साहित्य सम्मान, केंद्रीय हिंदी संस्थान के सुब्रह्मण्य भारती पुरस्कार, उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिष्ठित यश भारती सम्मान मिला था।




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