सरकारी स्कूलों का निजीकरण गरीब व मध्यमवर्ग की तोड़ेगा कमर
भरुच, गुजरात (बीके पाण्डेय)। राज्य में सरकारी प्राथमिक स्कूलों का निजीकरण नही रोका गया तो निजी स्कूलों की संख्या में इजाफा होगा व गरीब तथा मध्यमवर्ग के परिवार अपनी संतानों को पढ़ा लिखा नही सकेंगे एैसी आशंका भरुच जिला प्राथमिक शिक्षक महासंघ ने व्यक्त की। शिक्षक महासंघ की ओर से प्रदेश के शिक्षण मंत्री को पत्र लिखकर सरकारी स्कूलों का निजीकरण रोकने की मांग की गई है।
भरुच जिला सहित पूरे प्रदेशध में सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को पांच हजार व निजी स्कूल में पढऩे वाले बालकों को बीस हजार रुपए की सहायता राज्य के शिक्षण विभाग की ओर से की जाती है। इस लिए आरटीआई के बाद अब कक्षा पांच के विद्यार्थियों को कामन ऐंट्रेंस टेस्ट के नियम से सरकारी स्कूलों को बंद करने वाली स्थिति बन जायेगी। इसके अलावा होशियार बालकों के निजी स्कूलों में चले जाने से कक्षा छह से आठ में कमजोर छात्रों के होने से परिणाम पर भी सीधा असर पड़ेगा जिसकी जिम्मेदारी शिक्षकों के माथे पर लाद दी जायेगी। शिक्षक महासंघ ने राज्य के शिक्षण मंत्री से मांग की है कि सरकारी स्कूलों को बढ़ावा देने की आवश्यक्ता है व सरकारी स्कूलों का निजीकरण किसी भी स्थिति मे नही होने देना चाहिए।