• Subscribe Us

logo
09 मई 2024
09 मई 2024

विज्ञापन
मीडिया दस्तक में आप का स्वागत है।
Gujrat

पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो रहा है कोनोकार्पस का पौधा

Posted on: Fri, 11, Aug 2023 9:22 AM (IST)
पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो रहा है कोनोकार्पस का पौधा

भरुच, गुजरात (बीके पाण्डेय)। भूमिगत जल का संकट होने बाद भी भरुच व अंकलेश्वर की सडक़ पर पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो रहे कोनोकार्पस के पौधे को डिवाईडर व रोड़ के किनारे लगा दिया गया है जो आने वाले समय में खतरे की घंटी है। भरुच अंकलेश्वर रोड पर पेड़ लगाने का काम करने वाले ठेकेदार ने बिना जाने समझे पर्यावरण को भारी नुकसान करने वाले कोनोकार्पस के पेड़ को लगवा दिया।

कोनोकार्पस का पौधा जब दो फुट की उंचाई का होता है तभी उसे चार से पांच लीटर पानी की जरुरत जमीन से पड़ती है। भरुच-अंकलेश्वर रोड पर सौ से ज्यादा पेड़ डिवाईडर पर लगे देखे जा रहे हैं। जमीन का उपजाऊपन घटाने वाला यह पेड़ खेत व हवा में कार्बन डाई आक्साईड की मात्रा भी बढ़ाने का काम करता है। जिले में कोनोकार्पस का पेड़ पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। सामान्य रुप से शोभा में अभिवृध्दि करने वाले वृक्ष पर्यावरण के लिए हानिकारक है या नही इसे जाने समझे बिना लोगो की ओर से लगा दिया जाता है।

वर्तमान में भरुच अंकलेश्वर मार्ग पर डिवाईडर के बीच हरित व काफी सुंदर दिखने वाला कोनोकार्पस पौधा लगा हुआ है। यह पेड़ अपने पर्यावरण व स्वास्थय के लिए काफी ज्यादा हानिकारक है। यह कोनोकार्पस का पौधा मूल भारतीय पौधा नही है मगर पूरे देश में पिछले कुछ समय से काफी मात्रा में देखने को मिल रहा है। कोनोकार्पस पेड़ मूल पूर्वी अफ्रीका के समुद्री इलाके का पौधा है। इस विदेशी मूल के वृक्ष की पत्तियों को जानवर भी नही खाते व यह पेड़ दरिया किनारे के इलाके में लगने के लिए ही सही माने गये हैं जो जमीन की कटान को रोकते हैं मगर उपजाउ पन को घटा देते हैं।

शहर की शोभा बढ़ाने के लिए इन पौधो को लगाया जा रहा है मगर इस पेड़ से लोग अपनी मुसीबत को दावत दे रहे हैं।

इस पेड़ की सबसे नुकसान करने वाले बात यह है कि दो फुट की उंचाई के सामान्य भारतीय पौधो को एक से ढाई लीटर पानी की जरुरत होती है जबकि कोनोकार्पस पौधे को रोजाना चार से पांच लीटर पानी की जरुरत पड़ती है। एक अनुमान के मुताबिक यह पेड़ जब पूरी तरह से विकसित हो जाता है तब जमीन में से रोजाना एक लाख लीटर पानी चूस लेता है।

इनका कहना है

पर्यावरण प्रेमी रतन भाई ने बताया कि कोनोकार्पस क ा पेड़ जमीन मे से नमी तेजी से सोख लेता है व यह पेड़ जमीन के उपजाऊपन को घटा देता है। इसे खेत से दूर रखना ही किसानों के लिए हितावह है। यह वृक्ष कार्बन डाई आक्साईड ज्यादा छोड़ता है व आक्सीजन कम देता है।

इसको कहा जाता है राक्षसी वृक्ष

जाड़े के मौसम में इस पेड़ से फूल व परागरज बाहर आते हैं जो पूरे इलाके में फैल जाते हैं। इसके बाद परागरज करण सर्दी,खांसी,अस्थमा का कारण बनता है। गांवों में एैसी मान्यता है कि अगर कोई गर्भवती स्त्री इस पेड़ के नीचे बैठे तो उसका गर्भपात तक हो सकता है। इस कारण इसे राक्षसी वृक्ष व डेविल ट्री के रुप में लोग अब पहचानने लगे हैं।




ब्रेकिंग न्यूज
UTTAR PRADESH - Basti: बुजुर्ग का शव मिला, पहचान नहीं भव्य युवा सम्मेलन का हुआ आयोजन रेडक्रास दिवस के पर डीएम ने वृद्धाश्रम पहुंचकर साझा की खुशियां डीएम ने दिया स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शान्तिपूर्ण चुनाव कराने का निर्देश जाति धर्म की राजनीति नही करती कांग्रेस- ज्ञानेन्द्र भारत के इतिहास में अमर हैं महाराणा प्रताप Gorakpur: पति पत्नी ने किया सुसाइड Lucknow: पूर्व विधायक की बेटी संग सपा नेता ने किया रेप, ब्लैकमेल कर वसूले 6 करोड़