यहां भीख मांग रहा बचपन
कैंचियाः (विनोद सोखल) बाल दिवस यानी आज का दिन बच्चो के लिए बेहद खास है। ये 14 नवंबर को भारत में बेहद खुशी और उल्लास से मनाया जाता है। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को देश भर में बाल दिवस के नाम से मनाया जाता है। नेहरू सदा बच्चों के अधिकारों, उनकी सलामती और उन्नति के लिए प्रयासरत रहे, लेकिन जरा इन तस्वीरों को देखिए और बताइए कि क्या चाचा नेहरु का चिल्ड्रन्स डे ऐसा होता है। आपके दिल को दहला देने वाला कड़वा सच। ये साऱा कड़वा सच हनुमानगढ जिले की नैशनल हाईवे 62 कैंचिया के होटलो ढाबों का है। समूचे देश में बच्चे आज चाचा नेहरू को याद कर प्रफुल्लित हैं वहीं कई स्थानों पर बच्चों को भीख मांगते देखा गया। इनके लिये क्या बाल दिवस और क्या त्योहार, उन्हे तो पेट भरने के लिये रोज भीख मांगना है।
देश भर में बाल दिवस पर जहां स्कूलों में कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, वहीं ये बालमन जानते भी नहीं कि बाल दिवस होता क्या है। स्कूल क्या होता है, जद्दोजहद है तो बस रोजी रोटी कमाने की और इसमें मशगूल ये बच्चे क्या जानते होंगे कि 14 नवंबर बाल दिवस को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु का जन्म हुआ था। ये बच्चे बस रोज रोटी खाने के लिए लोगों के आगे हाथ फैलाते हैं। बाल मजदूरी पर सरकार हर साल बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर काम कर रहे ये बच्चे, बाल मजदूरी के दायरे में नहीं आते क्या। क्या इन बच्चों के स्कूल और किताबों के कोई मायने नहीं हैं, खेल कूद का मतलब नहीं है। जब तक बचपन को संवारने की रणनीति नही बनेगी तब तक वास्तविक आजादी का कोई मायने नहीं।