• Subscribe Us

logo
10 मई 2024
10 मई 2024

विज्ञापन
मीडिया दस्तक में आप का स्वागत है।
Uttar pradesh

भाजपा के दयाशंकर मिश्रा ने बसपा से ठोंकी ताल, कहा वे रोड़ा न बनते तो मै विधायक होता

Posted on: Fri, 05, Apr 2024 7:49 PM (IST)
भाजपा के दयाशंकर मिश्रा ने बसपा से ठोंकी ताल, कहा वे रोड़ा न बनते तो मै विधायक होता

बस्ती, 05 अप्रैल। जिले में भारतीय जनता पार्टी ने एक और निष्ठावान कार्यकर्ता खो दिया। 1989 से लगातार एक निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में पार्टी को अपना योगदान दे रहे पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्रा ने बसपा का दामन थाम लिया। कई दिनों से यक खबर सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बनी थी, लेकिन आज स्टेशन रोड स्थित एक होटल के सभागार में प्रेस प्रतिनिधियों से वार्ता करते हुये श्री मिश्र ने खुद इस बात का खुलासा किया कि वे लखनऊ से बहन कु. मायावती का आशीर्वाद लेकर वापस लौटे हैं और बस्ती में तख्ता पलट के बाद ही चैन से बैठेंगे।

दयाशंकर मिश्र ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुये कहा 35 वर्षों से लगातार इस उम्मीद में पार्टी को अपने खून पसीने से सींचता रहा कि हमे भी कभी अवसर मिलेगा। 2014 के चुनाव में हरीश द्विवेदी को चुनाव लड़ने का अवसर मिला तो प्रसन्नता हुई कि किसी कार्यकर्ता को पार्टी ने महत्व दिया है। कभी हमारा भी नम्बर आयेगा। इस उम्मीद के साथ पूरी ताकत से हरीश द्विवेदी को चुनाव जिताने में अपना योगदान दिया, किन्तु लगातार उपेक्षा होती रही। 2017 का चुनाव आया, अमित शाह ने बुलाकर कहा हरीश जी को चुनाव जिताइये इसके बाद कहीं एडजस्ट किया जायेगा। 2019 आ गया, मै अवसर का इंतजार करता रहा। वे लगातार चुनाव जीतते रहे और हम उपेक्षा का शिकार होते रहे।

इन 35 सालों में दो बार जिलाध्यक्ष व क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रदेश कार्य समिति के सदस्य की भूमिका का बखूबी निर्वहन किया। इस बीच तमाम अवसर आये जब मै चुनाव जीतकर विधानसभा में जा सकता था लेकिन वे रोड़ा बनते गये। भला हो बसपा के जोनल कोआर्डिनेटर का, उन्होने इच्छाशक्ति जागृत किया और बहन कु. मायावती से मिलाया। विस्तृत वार्ता के बाद उनका आशीर्वा मिला और अब जनता की अदालत में हूं। बड़े विश्वास के साथ दयाशंकर मिश्र ने कहा कि भाजपा के तमाम उपेक्षित कार्यकर्ता उनके संपर्क में, इस्तीफा देकर चुनाव में मदद करने को तैयार हैं, दूसरे दलों में भी यही हाल है। उन्होने कहा 35 सालों से निष्ठावान कार्यकर्ता था।

उपेक्षा से आजिज आकर मैने बसपा ज्वाइन किया। उन्होने यह भी कहा कि पार्टी के लोग दबाव बनाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं लेकिन मेरा उनसे एक ही सवाल है 35 सालों में हमे क्या मिला ? हिसाब कर लें और जो बढ़ रहा हो वापस ले लें अन्यथा मेरा खून न पीयें। यह भी कहा कि टिकट मिलने पर मैने हरीश द्विवेदी को बधाई देने के लिये 3 बार फोन किया, उन्होने न तो फोन उठाया और न ही काल बैक किया। उनके अंदर इतना नैतिक साहस नही है कि वे हमारे दरवाजे पर आये और कहें कि आप चुनाव मत लड़िये। साहस बाजार में नही मिलता, इसके लिये कार्यकर्ताओं, मसर्थकों के समर्पण का सम्मान करना पड़ता है और उन्हे भी आगे भी बढ़ने के लिये रास्ता बनाना पड़ता है। दयाशंकर मिश्र बस्ती की राजनीति में दो प्रमुख धुरी बन चुके हरीश द्विवेदी और रामप्रसाद चौधरी के बीच मतदाताओं में कितनी पैठ बना पायेंगे यह वक्त बतायेगा। पत्रकार वार्ता में जोनल कोआर्डिनेटर उदयभान, के.के. गौतम, जयहिन्द गौतम के साथ अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।




ब्रेकिंग न्यूज
मीडिया दस्तक में आप का स्वागत है।