टैंक पी रहा है तेल या कोई गडबडझाला
रायबरेली ब्यूरोः (आकाश अग्निहोत्री) रायबरेली डिपो के वर्कशॉप में ही डीजल का फिलिग स्टेशन है। यही सभी बसों में डीजल भरा जाता है। इसकी निगरानी आधुनिक तकनीकी से हो रही है। एक-एक बूंद डीजल का हिसाब-किताब ऑनलाइन रहता है। किस बस में कितना डीजल गया, यह तकनीकि इसका रिकॉर्ड खुद रखती है।
इसके लिए बसों के डीजल टैंक में एक रिग और डिपो की डीजल फिलिग मशीन के नॉजिल में सेंसर लगा है। इसी सेंसर और रिग के सहारे पता चला है कि किस बस में कितना डीजल भरा गया। डीजल भरने में लापरवाही के चलते डिपो के दोनों मशीनों के सेंसर टूट गए। जिससे अब डीजल का रिकॉर्ड रखने में दिक्कत हो रही है। इस लापरवाही पर सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक अक्षय कुमार ने सख्त रुख अपनाया है। कैसर समेत दो कर्मचारियों से रिकवरी के आदेश दिए गए हैं। यह धनराशि कर्मचारियों के वेतन से कटेगी। ईंधन की बूंद-बूंद पर नजर रखने वालें सेंसर कर्मचारियों की लापरवाही से टूट गए।
जिस पर कड़ा रुख अपनाते हुए दो कर्मचारियों से आठ-आठ हजार की रिकवरी के आदेश हुए हैं। वहीं आदेश के बाद भी जिम्मेदारी निभाने में उदासीनता पर डिपो के वरिष्ठ केंद्र प्रभारी, फोरमैन और डीजल इंचार्ज को कड़ी चेतावनी दी गई है। एआरएम का कहना है कि डीजल भरने वाली मशीन में फिलर की ड्यूटी लगाने में मनमानी हो रही थी। किसी भी चालक को खड़ा कर दिया जाता था। जो भी पूरी तरह से गलत है। इस लापरवाही पर वरिष्ठ केंद्र प्रभारी प्रदीप कुमार, फोरमैन अशरफ अली और डीजल इंचार्ज मो. रजी को चेतावनी दी गई है। सुधार न होने पर कड़ी विभागीय कार्रवाई होगी।